सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अनुसूचित जातिध्जनजाति और सभी वर्गों के दिव्यांग विद्यार्थियों को पी.एच.डी. के लिये छात्रवृत्ति योजना को वर्ष 2021-2022 में भी निरंतर जारी रखने का निर्णय लिया है। इसके तहत विश्वविद्यालयोंध्महाविद्यालयों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति,जनजाति और सभी वर्गों के दिव्यांग विद्यार्थियों से पी.एच.डी. छात्रवृत्ति के लिये आवेदन आमंत्रित किये गये हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर निर्धारित की गई है।
आनलाइन मिलेंगे भूमि उपयोग प्रमाण-पत्र
आवेदक द्वारा भूमि-उपयोग प्रमाण-पत्र के लिये आनलाइन आवेदन, सभी आवश्यक विवरण जैसे-निवेश, योजना क्षेत्र, गाँव और खसरा नंबर दर्ज करके प्रस्तुत करने पर भूमि-उपयोग उसके स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है। आवेदक इसे स्वीकार करने एवं आनलाइन शुल्क भुगतान करते ही मैप के साथ लैण्ड भूमि उपयोग प्रमाण-पत्र प्राप्त होता है। आवेदक अपनी जरूरत के अनुसार इसे डाउनलोड और प्रिंट कर सकता है। कोई भी एजेंसी टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग के आनलाइन लैण्ड यूज सर्टिफिकेट जनरेशन पोर्टल पर जाकर इस सर्टिफिकेट को एप्लीकेशन नंबर से सर्च कर डिजिटली वेरीफाई कर सकती है।
डी.ए.पी. के साथ एन.पी.के खाद के प्रयोग की सलाह
किसान फसल बोते समय अधिकांशत: डी.ए.पी. खाद का उपयोग करना अच्छा समझते हैं। लेकिन एन.पी.के. खाद किसी भी तरह से डी.ए.पी. खाद से कमतर नहीं होती है। एन.पी.के. खाद का प्रयोग कर किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। जिले में डीएपी खाद पर्याप्त मात्रा में है। उप संचालक कृषि ने बताया कि एन.पी.के. खाद में नत्रजन व फॉस्फोरस के साथ ही पोटाश भी होती है। भूमि के तीनो प्रमुख तत्व होने से एन.पी.के. पैदावार बढ़ाने में सहायक होने के साथ ही मिट्टी की उर्वरक शक्ति भी बढ़ाता है जबकि डी.ए.पी. खाद मे पोटाश नहीं होती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वे डी.ए.पी. से 1.5 गुना मात्रा में एन.पी.के. का प्रयोग करें। एक एकड़ भूमि मे डी.ए.पी. जहां 52 किलो प्रयोग की जाती है, वहीं एन.पी.के. 75 कि.ग्रा. प्रयोग की जाती है। 1 बीघा जमीन में डी.ए.पी. 33 कि.ग्रा. तथा एन.पी.के. 48 कि.ग्रा. मात्रा प्रयोग की जाती है। वहीं 1 बिस्वा भूमि में 1.6 कि.ग्रा. डी.ए.पी या 2.4 कि.ग्रा. एन.पी.के. का उपयोग किया जाना चाहिए।