Kunwara Panchami: digi desk/BHN/ हिंदू कैलेंडर के अनुसार पितृ पक्ष चल रहे हैं और सभी लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर रहे हैं। हर दिन अलग-अलग व्यक्तियों का श्राद्ध होता है। अश्विन महीने की पंचमी तिथि को पंचमी श्राद्ध होता है। इसे कुंवारा पंचमी श्राद्ध भी कहते हैं। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु पंचमी के दिन हुई हो या जिनकी मौत अविवाहित रहते हुए हो गई हो। कुंवारे लोगों की वजह से ही इसे कुंवारा पितृ भी कहते हैं।
इस दिन लोग अपने कुंवारे भाई, भतीजे, भांजे और अन्य संबंधियों का पिंडदान करते हैं, जिनकी शादी होने से पहले ही मृत्यू हो गई थी। इस दिन राहुकाल में पिंडदान नहीं होता है। इसलिए कुंवारा पंचमी के दिन राहुकाल होने पर इससे पहले ही तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
कुंवारा पंचमी श्राद्ध की विधि
पंचमी श्राद्ध में श्राद्ध कराने वाले व्यक्ति को 5 ब्राह्मणों को भोजन कराना होता है। श्राद्ध कराने वाले व्यक्ति को स्नान करको साफ स्वेत कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद श्राद्ध में गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ और शहद मिश्रित जल की जलांजि देकर विधिवत पितृगणों का पूजन करें। अब पितृगण के निमित, गाय के घी का दीप, चंदन की अगरबत्ती जलाएं, शहद, लाल फूल, लाल चंदन और अशोक का पत्ता अर्पित करें। साथ ही चावल और जौ के आटे के पिंड भी अर्पित करें। उनके नाम का नैवेद्य चढ़ाएं और कूश के आसन पर बैठकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए ॐ पाच्चजन्यधराय नमः॥ मंत्र का जाप करें। इसके बाद गीता के 5वें अध्याय का पाठ करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें दान दें और उनका आशीर्वाद लें।
25 सितंबर को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से पंचमी तिथि शुरू होगी और 26 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर समाप्त होगी। इस बीच शाम 4 बजकर 5 मिनट से 4 बजकर 54 मिनट तक कुतुप मुहूर्त रहेगा। वहीं 11 बजकर 26 मिनट से दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक रोहिणी मुहूर्त रहेगा। जबकि शाम 4 बजकर 11 मिनट से राहुकाल लग जाएगा, जो 5 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इसलिए शाम 4 बजे तक पिंडदान कर लें।