2 वर्ष, 11 खाते, 210 करोड़ रुपये का लेनदेन, देश की नामी-गिरामी कंपनियों को किया गया है भुगतान
रीवा, भास्कर हिंदी न्यूज़/ विगत 6 वर्षों से डभौरा सेवा सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंक में हुए 24 करोड़ के घोटाले की जांच कर रहे सीआईडी टीम के होश उस समय उड़ गए जब उन्होंने आइसीआइसीआई बैंक निश्चित ओम इंटरप्राइजेज नाम खाते की जानकारी बैंक से चाही गई। जानकारी मिलने पर जो तथ्य सामने आए वह चौका देने वाले थे। कारण यह था कि 2 वर्ष के बीच उक्त बैंक स्थित खाते के द्वारा 60 करोड़ रुपये का लेन-देन की आया था। कुछ ज्यादा डिटेल हासिल करने पर उक्त खाते से जुड़े हुए 10 अन्य खातों का सीआईडी को पता चला। पूरे मामले से सीआइडी डीएसपी असलम खान एडीजी सीआइडी को अवगत कराया जिसके बाद पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू रीवा को सौंप दी गई है।
ऐसे हुआ खुलासा
डीएसपी सीआईडी असलम खान ने बताया कि वह डभौरा बैंक घोटाले की जांच कर रहे थे इसी बीच विवेचना में उन्हें जय स्तंभ में संचालित आईसीआईसीआई बैंक में स्थित ओम इंटरप्राइजेज नामक खाता का पता चला जिसमें केंद्रीय सहकारी बैंक डभौरा से 40 लाख रुपए भेजने की पेशकश की थी। हालांकि उत्त राशि खाते में ट्रांसफर नहीं हुई थी जब खाते का पता चला गया तो पता चला उक्त खाता ककलपुर निवासी प्रमोद तिवारी का है। खाते की डिटेल ली गई तो पता चला वर्ष 2013 से लेकर 15 के बीच खाते से तकरीबन 60 करोड़ रूपये का विभिन्न नामचीन कंपनियों के खाते में भेजी गई है।
मिली जानकारी में बताया गया है कि केंद्रीय मर्यादित सहकारी बैंक डभौरा के बैंक घोटाले किसी अभियुक्त क्रम से अमर सिंह जय सिंह व आशीष गुप्ता के खाते से 40 लाख रुपये भेजने का प्रयास किया गया था जिसके बाद मामले को गंभीरता से लिया गया है।
बैंक खातों से 210 करोड़ रुपये लेन-देन ..!
2 वर्ष के समय अवधि में 11 बैंक अकाउंट जिसमें चार एचडीएफसी,चार एक्सिस बैंक तथा तीन आईसीआईसीआई बैंक खातों से 210 करोड़ रुपये लेन-देन किया गया था जानकारी लिए जाने पर पता चला कि उक्त खातों में नगद पैसा जमा कर उसे बड़ी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर किया गया था जिसके बदले कंपनियों के उत्पाद को क्रय किया गया था माना यह भी जा रहा है कि उक्त खाते का इस्तेमाल तकरीबन 80 फीसदी व्यवसायियों ने किया है लिहाजा सीआईडी सहित ईओडब्ल्यू या संदेह है कि उक्त राशि काले धन को सफेद करने का प्रयास किया गया है।
अकाउंट में जमा किया जाता था नगद
बताया गया है कि आइसीआइसीआई बैंक में स्थित है इंटरप्राइजेज नामक खाते में अधिकतर राशि नगद जमा की जाती थी राशि जमा होने के तकरीबन 2 घंटे के बाद ही उक्त राशि दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दी जाती थी। तत्कालीन एडीजी सीआईडी राजीव टंडन ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया था मामले की समीक्षा करने के बाद उन्होंने प्रदेश के डीजीपी विवेक जौहरी को पूरे मामले से अवगत कराया था जिन्होंने पूरे मामले की जांच एडीजी ईओडब्ल्यू को सौंप दिया था अब पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू शाखा रीवा कर रही है।
6 साल बाद हुआ खुलासा
2 साल की अवधि में 11 बैंक अकाउंट के जरिए 210 करोड़ रुपये का लेन-देन कर लिया जाता है 2015 में खाता भी बंद कर दिया जाता है लगातार बैंक खातों पर नजर रखने वाले इनकम टैक्स विभाग को कानों कान खबर नहीं होती है। 2015 से शुरू हुई बड़ौदा बैंक घोटाले की जांच के 6 साल बाद जब होम इंटरप्राइजेज का खाता सुर्खियों में आया तब जाकर पूरे मामले का पर्दाफाश हो सका है।
लिंक खाते भी फर्जी
सीआईडी द्वारा भेजे गए जांच प्रतिवेदन उन्हें यह जानकारी एडीजी सीआईडी को दी गई है कि आईसीआईसीआई बैंक में हूं इंटरप्राइजेज नामक खाता से जुड़े हुए थे 10 खाते भी फर्जी तरीके से खोले गए जिन खातों में लगाए गए दस्तावेज न केवल गलत है बल्कि संबंधित व्यक्ति गरीब पता चल रहा है ।जिसमें होम एंटरप्राइजेज खाते से बड़ी रकम का लेनदेन किया गया है ।वह ककलपुर निवासी प्रमोद तिवारी के नाम पर है। वह 8000 रुपये की नौकरी सतना में करता है।