सीधी,भास्कर हिंदी न्यूज़। संजय टाइगर रिजर्व के कोर जोन से बाघों ने बफर जोन में दस्तक देना शुरू कर दिया है। बफर जोन में आबादी होने के कारण बाघों के खतरे से लोग दहशत में हैं। संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में इन दिनों बाघों की संख्या बढ़ गई है। दो वर्ष पहले पैदा हुए बाघ के शावक अब बड़े हो गए हैं तो इसके साथ ही जंगल में अपनी मौजूदगी भी दर्ज कराने लगे हैं। शावकों के साथ बाघों का कुनबा बढ़ने के कारण पहले जहां कोर जोन में इनकी मौजूदगी देखी जा रही थी, वहीं अब बफर जोन में आमद देने से दहशत बढ़ने लगी है। बताया जाता है कि शहडोल और सीधी जिले की सीमा में लगे गांव में एक बाघ बीच-बीच में डेरा जमा लेता है। खेत की झाड़ियों में बाघ की मौजूदगी को देख ग्रामीणों में भय समा गया है। टाइगर रिजर्व क्षेत्र से जुड़े गांव के कारण माना जा रहा है कि कोर जोन से निकलकर बाघ गांव की ओर पहुंचा है। टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बफर जोन में अभी भी बस्ती देखी जा रही है।
बाघों की बढ़ती संख्या के कारण बफर जोन में आवाद बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए हर समय खतरा बना ही रहता है। इसके बाद भी विस्थापन का कार्य नहीं हो सका है। गरीब आदिवासी परिवारों के पास सुरक्षित स्थान में बसने की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण मजबूरी में पैतृक निवास पर ही रह रहे हैं। जानकारों के मुताबिक शहडोल और सीधी के सीमा में बसे गांवों में बाघ की मौजूदगी के बाद विभाग अलर्ट तो हो गया है किंतु उसे कोर जोन में ले जाने की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं बन पाई है।
सीमा में पर बाघों के साथ बाघिन भी
संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र के दक्षिणी-पश्चिमी छोर पर सीधी-शहडोल के बार्डर पर बोकरो, शिकारपुर गांव के आसपास एक नहीं बल्कि छह बाघों का मूवमेंट बना हुआ है। शावकों के साथ बाघिन पिछले कई दिनों से इसी अंचल में देखी जा रही है। जंगली क्षेत्र होने के कारण आस-पड़ोस के गांवों में भी बाघों की मौजूदगी देखी जाती है जिस कारण ग्रामीण दहशत में आ जाते हैं। जंगली सीमा से सटे गांवों में अक्सर इस तरह का खतरा बना ही रहता है। विभाग का मानना है कि जंगल में विचरण करते बाघ कहां से कहां पहुंच जाएंगे कहा नहीं जा सकता है। जिस क्षेत्र में उनकी मौजूदगी देखी जा रही है वह तो बाघों के कॉरीडोर में शामिल है।