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शारदा प्रबंधक समिति के 11 लाख से अधिक रकम के घोटाले में दोषियों को तीन वर्ष का कठोर कारावास, जुर्माना भी

एक दोषी की हो चुकी है मौत

मैहर, भास्कर हिंदी न्यूज। शारदा प्रबंधक समिति की राशि में गबन करने वाले दो दोषियों को मान.सुरेश यादव न्यायायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मैहर न्यायालय ने गुरुवार को घोटाले का दोषी पाते हुए तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने दोषियों पर जुर्माना भी लगाया है।

ये है मामला

आर्थिक अपराध शाखा रीवा इकाई ने अपराध क्रमांक11/2001, धारा 120 बी,409,467,468,477ए के तहत रामकिशोर निगम तनय भैयालाल निगम उम्र 62 वर्ष,निवासी रामकोड़ी थाना मैहर जिला सतना एवं दामोदर द्विेदी तनय भगवान द्विेदी उम्र 56 वर्ष निवासी विवेकानंद कालेज के सामने मैहर जिला सतना तथा कार्यालय अधीक्षक सुरेंद्र पांडेय द्वारा 11,81828 रुपये के गबन का मामला दर्ज करते हुए न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया था। गबन के मामले में एक दोषी तत्कालीन कार्यालय अधीक्षक सुरेंद्र पांडेय की मौत हो चुकी है। इस मामले में दो दोषियों रामकिशोर व दामोदर द्विेदी को न्यायालय ने तीन साल के सश्रम कारावास एवं रामकिशोर को 14000, तथा दामोदर द्विेदी को 10000 रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है।
सहायक मीडिया प्रभारी आदित्य पांडेय ने बताया कि तहसील मैहर जिला सतना में माँ शरदा देवी का प्राचीन मंदिर है जिसके प्रबंध का कार्य मा शारदा प्रबंध समिति प्रबंधक द्वारा किया जाता है। जिसके जिलाधीश सतना पदनाम से अध्यक्ष एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मैहर पदनाम से मुख्य कार्यपालन अधिकारी होते हैं। समिति के रुपये पैसा का लेखा-जोखा लेखपाल द्वारा किया जाता है जो कि अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मैहर का शासकीय कर्मचारी होता है जिसे नियुक्ति पर रखा जाता है।। समिति के शेष कर्मचारी दैनिक वेतनभोगी अशासकीय कर्मचारी होते हैं। जिनकी नियुक्ति समिति स्वयं करती है। समिति के मैहर के ग्रामीण बैंक में 2 खाते हैं, जिसमे समिति के चढ़ोत्तरी और अन्य मदों से प्राप्त धनराशि कैशियर और लेखपाल द्वारा जमा किया जाता है। ईओडब्ल्यू रीवा में दर्ज शिकायत क्रमांक 47/1999 के सत्यापन के दौरान शारदा प्रबंध समिति मैहर जिला सतना के वर्ष 1980 से 1999 तक कि समय अवधि के आय एवं व्यय के उपलब्ध अभिलेखों एवं दस्तावेज की जांच कराई गई, जिसमें समिति के चढ़ोत्तरी व अन्य मदों में प्राप्त धनराशि का अलग-अलग समय पर समिति के कैशियर दामोदर द्विवेदी एवं लेखपाल रामकिशोर निगम और कार्यालय अधीक्षक सुरेंद्र पांडेय द्वारा 1181828 रुपये का गबन किया जाना पाया गया। जिस पर गुरूवार को दोषियों के लिए सजा सुनाई गई।
मामले में अभियोजन का पक्ष एडीपीओ ब्रजेन्द्र पाल सारस्वत (आर्थिक अपराध शाखा) द्वारा रखा गया।

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