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Sidhi: विधानसभा में गूंजेगा सीधी के दो करोड़ के फर्जी ऋण ट्रैक्टर का मामला

सीधी,भास्कर हिंदी न्यूज़/ केंद्रीय सहकारी बैंक शाखा गांधीग्राम में 34 आदिवासियों के नाम पर 2 करोड़ के फर्जी ट्रैक्टर वितरण का मामला सामने आने के बाद गठित जांच समिति जांच में जुटी है। विधायक की शिकायत पर कलेक्टर द्वारा चार सदस्यीय जांच टीम गठित की गई थी जिनके द्वारा पुरानी फाइलें खंगाली जा रही है। माना जा रहा है कि ट्रैक्टर ऋण घोटाले की जड़ें काफी गहरी हैं जिसमें घोटाले की रकम दो से पांच करोड़ तक पहुंच सकती है।

34 आदिवासियों के नाम फर्जी ऋण स्‍वीकृत हुआ

बता दें कि वर्ष 2011, 12,13 में सहकारी बैंक की शाखा गांधीग्राम ने चार समितियों के मार्फत करीब 34 आदिवासियों के नाम फर्जी ऋण स्वीकृत कर एक करोड़ 97 लाख 20 हजार रुपये डकार लिए हैं। जांच में और अधिक ट्रैक्टरों की संख्या बढ़ने की बात भी सामने आ रही है। इस पूरे मामले को लेकर केदारनाथ शुक्ला विधायक विधानसभा में भी इस बात को रखेंगे।

ऐसे प्रकाश में आया मामला  

फर्जी ऋण वितरण का मामला उस समय प्रकाश में आया जब केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा कर्ज में लिए ट्रैक्टर उपभोक्ताओं के यहां वसूली का नोटिस भेजा गया। बिना किसी लेन-देन के नोटिस मिलने के बाद संबंधित आदिवासियों के उस समय होश ही उड़ गए थे। दरअसल में जिनके पास जमीन नहीं उनके नाम ट्रैक्टर ऋण स्वीकृत कर नोटिस भेजा गया था। इतना ही नहीं ऋण स्वीकृत के साथ ट्रैक्टर भी उपलब्ध नहीं कराया गया था। यह सब शाखा प्रबंधक और चार समितियों के प्रबंधकों ने ट्रैक्टर एजेंसी संचालकों के साथ मिलकर गुणा-भाग किया था। बताया जाता है कि जैसे-जैसे लोगों को नोटिस मिलता गया वैसे-वैसे फर्जी ऋण वितरण की जानकारी सामने आने लगी। बिना किसी आवेदन, निवेदन के कर्ज स्वीकृत होने और बैंक द्वारा कर्जदार बनाए जाने के बाद सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला तक शिकायत पहुंचने लगी। आदिवासियों के नाम पर किए गए फर्जी ऋण घोटाले की जानकारी मिलने के बाद विधायक ने प्रमुख सचिव भोपाल से शिकायत कर मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने मांग की है।

प्रमुख सचिव से विधायक ने की थी शिकायत 

विधायक द्वारा की गई शिकायत को गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव ने कलेक्टर सीधी को मामले की जांच कराने निर्देशित किया जिस पर कलेक्टर ने चार सदस्यीय टीम का गठन कर मामले के जांच की जिम्मेवारी सौप दी। किंतु कई दिनों बाद भी जांच टीम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। मामले की जांच कर रही टीम को बैंक से पुरानी फाइल नहीं मिल रही है। ऋण वितरण संबंधी पुरानी फाइल मिल जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। सहकारी बैंक के घाघ कर्मचारियों, अधिकारियों ने घोटाले की परत न खुलने पाए इसलिए फाइल के गायब होने का नाटक करने लगे हैं। जानकारों के अनुसार यदि कायदे से घोटाले की जांच हो तो फर्जी ऋण वितरण का मामला दो करोड़ नहीं बल्कि पांच करोड़ से ऊपर पहुंच जाएगा। यह अलग बात है कि शिकायत के बाद जांच अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ सकी है।

कागज में कुर्की और बोली हो गई 

केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा जिन भूमिहीन आदिवासियों के नाम ट्रैक्टर ऋण स्वीकृत किए गए अब तक तो उन आदिवासियों को ऋण के संबंध में कोई जानकारी ही नहीं, दूसरे जब घोटालेबाजों ने ऋण में स्वीकृत ट्रैक्टर की नीलामी कर खुद औने-पौने दाम में खरीदी, बिक्री की तो भी किसी को हवा नहीं लग सकी है। कागज में ही ऋण स्वीकृत हुए और कई महीनों तक ऋण की अदायगी न होने पर फर्जी नोटिस जारी की गई और कागज में ही ट्रैक्टर की नीलामी करा दी गई। बाद में नीलाम ट्रैक्टरों को आपस में ही खरीदी, बिक्री कर ली गई। बताया गया है कि घोटाले के जांच की सुगबुगाहट मिलते ही धीरे-धीरे फर्जीवाड़े की कहानी सामने आने लगी है। जानकारों की मानें तो अकेले बरमबाबा शाखा में ही नहीं बल्कि सहकारी बैंक की दूसरी शाखाओं में भी ट्रैक्टर ऋण वितरण में इसी तरह का फर्जीवाड़ा किया गया है। जांच टीम यदि पूर्व में स्वीकृत ट्रैक्टर ऋण के मामलों की जांच करे तो अरबों का घोटाला सामने आ सकता है।

 

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