सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़। जानलेवा कोरोना वॉयरस ने आम जनजीवन को एक तरह से खुली जेल में तब्दील तो किया ही है, धार्मिक स्थलों में भी भगवान के मंदिरों में डरावना सूनेपन का माहौल है। अनलॉक-5 की घोषणा हो चुकी है। सामाजिक कार्यक्रमों के लिए सीमाएं तय कर दी गयी हैं,पर दीपोत्सव पर्व पर जब सारे देश मे प्रभु श्री राम की अयोध्या वापसी पर अमावस की काली रात का अंधेरा दियों की जगमग रोशनी से भाग खड़ा होता है ऐसे में भी प्रभु के पावन धाम चित्रकूट में मेला नही लगेगा। ना ही मन्दाकिनी में लोग दीपदान कर पाएंगे। गौरतलब है कि दीपावली पर लाखों श्रद्धालु मंदाकिनी की पुण्य सलिला में स्नान कर दीप दान से चित्रकूट को जगमगा देते हैं। कोविड – 19 महामारी के चलते इस बार दीपदान मेला आयोजित ना करने का निर्णय जिला प्रशासन ने लिया है। इस निर्णय से साधु समाज खासा आक्रोशित है।
दुनिया भर में छाई कोरोना महामारी की सबसे बड़ी मार धार्मिक स्थलों और श्रद्धालुओं की आस्था पर पड़ रही है। महीनों लॉक डाउन में भगवान के पट पहले ही बंद रहे और अब जब सब खुल गया है तब भी आस्था पर लगा ताला हटने के आसार नजर नही आ रहे। नवरात्रि के पर्व पर मैहर स्थित विश्व प्रसिद्ध माता शारदा के धाम को बंद रखने के निर्णय के बाद अब भगवान राम की तपस्थली चित्रकूट के दीपावली मेले पर भी पाबंदी का ग्रहण लग गया है। उधर इस पाबंदी ने संत समाज के धैर्य का बांध भी अब छलका दिया है जिसके बाद संतो ने चित्रकूट के यूपी में विलय की मांग उठाना शुरू कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दुनिया भर के करोड़ो श्रद्धालुओ की आस्था के केंद्र चित्रकूट में इस बार दीपावली पर भी मेला नही लगेगा। श्रद्धालु भगवान राम की तपस्थली चित्रकूट में पावन सलिला मंदाकिनी में आस्था की डुबकी लगा कर कामतानाथ स्वामी के दर्शन और कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा नही कर सकेंगे। अमावस्या तिथि पर दीपावली में प्रति वर्ष चित्रकूट में लगने वाला दीपदान मेला इस बार नही लगेगा। इतना ही नही पुरुषोतम मास की अमावस्या पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ पावन सलिला मंदाकिनी के तट पर नही लग सकेगी।
इस संबंध में दीपावली से डेढ़ माह पहले ही गुरुवार को एसडीएम मझगवां हेमकरण धुर्वे की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में निर्णय ले लिया गया है। बैठक में तय हुआ है कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर दीपावली पर भी अमावस्या मेला चित्रकूट में प्रतिबन्धित रखा जाएगा। पुरुषोत्तम मास ( मलमास – अधिकमास ) की अमावस्या पर भी चित्रकूट में मेला नही लगेगा।
गौरतलब है कि चित्रकूट में अमावस्या मेला पिछले कई महीनों से कोरोना के कारण प्रतिबन्धित है। चित्रकूट धार्मिक नगरी भी है और पर्यटन के लिहाज से भी लोग यहां आते हैं। अमावस्या पर यहां हर माह लाखो लोग जुटते हैं। मेला प्रतिबन्धित होने से मठ मंदिरों को तो हानि हो ही रही है,छोटे रोजगार से जुड़कर परिवार पालन करने वाले स्थानीय लोगों के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है। लेकिन ऐसा लगता है जैसे शायद सरकारी अमले की नजर में देव स्थान ही कोरोना संक्रमण का बड़ा जरिया हैं।
उठी यूपी में विलय की मांग
उधर प्रशासन के इस निर्णय से चित्रकूट के संतों का एक धड़ा आक्रोशित हो गया है और प्रशासन की बैठक का बहिष्कार कर नया मुद्दा उठाने लगा है। बताया गया कि कुछ संतों ने मेले पर पाबंदी के निर्णय और बैठक में कलेक्टर के न पहुंचने पर नाराजगी जताई है। इन्ही संतो ने एमपी के सतना जिले के चित्रकूट का विलय यूपी के चित्रकूट में करने का स्वर उठाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि सतना का प्रशासन चित्रकूट का विकास नही कर रहा। यदि विकास करने की क्षमता नही है तो एमपी के सतना के हिस्से वाले चित्रकूट का विलय यूपी में कर दिया जाए। हालांकि इन संतों के इस स्वर के विपरीत भी कुछ बातें चर्चा में हैं। लोगों का कहना है जो लोग विकास न होने के बात कर यूपी में विलय की पैरवी कर रहे हैं वे खुद ही विकास में बड़े बाधक हैं। इनमे से कइयों ने अवैध कब्जे और निर्माण कर रखे हैं। विकास की बात होती है तो इनके यही कब्जे बाधक बन जाते हैं और फिर ये ही पैरोकार नेताओं ,मंत्रियों की सिफारिश लगवा कर दबाव बनाने लगते हैं।