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लापरवाही पड़ेगी भारी, सतना में कोरोना ने ली 69 वीं जान

65 वर्षीय बुजुर्ग की मेडिकल कालेज में मौत

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़। अनलॉक-5 की घोषणा  के बाद लोगों को भले ही लग रहा होगा कि कोरोना का कहर अब थमता जा रहा है पर सच्चाई यह है कि इसका प्रकोप पूरे चरम पर है। शनिवार को मैहर के एक बुजुर्ग  की रीवा मेडिकल कालेज में मौत होने के  साथ ही जिले में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 69 पहुंच गया।

वायरस के खतरा पूरे शबाब पर होने के बावजूद भले ही लोग इसे अब रूटीन में शामिल कर और ज्यादा लापरवाह बनते जा रहे हों लेकिन वायरस ने न तो अपना असर कम किया है और न ही वह कमजोर पड़ा है। बल्कि अब उसका साइलेंट अटैक और ज्यादा घातक हो चला है। कोरोना के इसी साइलेंट अटैक ने सतना जिले की एक और जिंदगी निगल ली है। जिले की यह 69 वीं मौत मैहर के खाते में दर्ज हुई है।

मेडिकल कालेज में मैहर के बुजुर्ग ने तोड़ा दम 

शुक्रवार को हुई तीन मौतों के चौबीस घंटों के अंदर सतना जिले के 69 वें कोरोना संक्रमित की मौत हो गई है। मैहर निवासी अग्रवाल परिवार के 65 वर्षीय बुजुर्ग की शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात लगभग 3 बजे रीवा के मेडिकल कालेज में मौत हो गई है। उन्हें कल ही रीवा ले जाया गया था। 

एक झटका और सब कुछ खत्म

मैहर के बुजुर्ग की मौत से जुड़े इस मामले में सबसे बड़ी बात तो ये है कि बुजुर्ग को सिर्फ एक झटका लगा और फिर सब कुछ खत्म हो गया। अग्रवाल परिवार के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि 65 वर्षीय बुजुर्ग को बड़ी दिक्कत नही थी, सामान्यतया सर्दी ,बुखार हुआ तो अपने स्तर पर ही वे दवाइयां लेते रहे और ठीक भी होते रहे। लेकिन शुक्रवार को जब थोड़ा तकलीफ बढ़ी तो वे डॉ पांडेय के पास गए जहां उनका एक्सरे कराया गया। हालांकि उस वक्त भी अग्रवाल परिवार को यह नही लग रहा था कि उन्हें अस्पताल जाना चाहिए।

पता भी नही चला और खराब हो गए फेफड़े

एक्सरे रिपोर्ट ने बुजुर्ग और उनके परिजनों ही नही खुद डॉक्टर के भी होश उड़ा दिए। पता चला कि बुजुर्ग के फेफड़े पूरी तरह संक्रमित हो चुके थे,खराब हो चुके थे। डॉक्टर की सलाह और जबरदस्ती पर उन्हें रीवा भेजा गया जहां आधी रात बुजुर्ग की मौत हो गई। बताया गया कि बुजुर्ग को इससे पहले कभी फेफड़ों की कभी कोई बीमारी नही थी।

बड़े खतरे का संकेत , सतर्कता बेहद जरूरी 

इस मामले ने यह संकेत दिए हैं कि कोरोना का खतरा उन लोगों के लिए भी कम नही है जो यह मान कर चल रहे हैं कि उन्हें कोई दिक्कत महसूस ही नही रही तो वो सतर्कता क्यों बरतें ? जांच क्यों करवाएं ? जानकारों की मानें तो कोरोना असिमटोमैटिक भी है लिहाजा लक्षण भले ही न समझ मे आएं, भले न दिखाई दें लेकिन वायरस अपना काम फिर भी कर रहा होता है। इसलिए सतर्कता बेहद जरूरी है। अब यह काम इस कारण भी ज्यादा जरूरी है क्योंकि लोग छिपाने और झूठ बोलने पर उतारू हैं। नाम – आंकड़े छिपाने के सरकारी प्रयास भी कम नही हैं। कंटेन्मेंट और कांटेक्ट ट्रेसिंग भी बंद है जिससे पड़ोसी के भी संक्रमित होने की जानकारी किसी को नही मिल पा रही है। 

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