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छतरपुर में कोरोना संकट काल:  मसीहा बने डॉक्टर, लोगों की जान बचाने दिन-रात कर रहे काम

छतरपुर,भास्कर हिंदी न्यूज़/ कोरोना के संकट काल में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ मरीजों के लिए मसीहा बने हैं। मरीजों की जान बचाने के लिए 10 से 14 घंटे तक लगातार काम करने वाले कई डॉक्टर न अपने परिवार को समय दे पा रहे हैं, न आराम से सो पा रहे हैं।कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या से जहां लोग भयभीत हैं। वहीं डॉक्टर व स्वास्थ कर्मियों की जिम्मेदारी व चुनौती और बढ़ती जा रही है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में छतरपुर जिले में अब तक 9200 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें से 8300 लोगों के लिए डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ मसीहा बनकर उन्हें नया जीवन दे चुके हैं।

जिला अस्पताल में कोविड प्रभारी डॉ. अरुणेंद्र शुक्ला ने बताया कि वे कई दिनों से केवल 3 से 4 घंटे ही सो पा रहे हैं। घर-परिवार की फिक्र छोड़कर अस्पताल में भर्ती मरीजों की जान बचाने के लिए पूरा स्वास्थ अमला समर्पण से काम कर रहा है। कई बार अस्पताल की सीमित सुविधाओं के बावजूद बेहतर सेवा देने के बावजूद जब लोग सेवा व समर्पण को हल्के से लेते हैं तो दुख होता है। इस कठिन समय में जरूरी है कि डॉक्टर को मरीजों का और आमजन को स्वास्थ अमले पर पूरा भरोसा कायम रहे।

आपदा काल में भला कैसा आराम

जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. भावना सोनी ने बताया कि पिछले दिनों मेरे परिवार में दो सदस्यों की मौत हुई है। इस विषम हालात में भी मैने अस्पताल में अपने फर्ज के निर्वहन में कमी नहीं की। परिवार का दर्द, सदस्यों की असमय मृत्यु से विचलित हुए बिना सतत रूप से मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। आपदा काल में भला कैसा आराम, इस समय परिवार के बारे में सोचने का समय ही नहीं है। अस्पताल में पीपीई किट पहनकर मेरी 6 घंटे ड्यूटी रहती है, मगर पिछले एक सप्ताह में मैने 48 से 72 घंटे तक ड्यूटी की है। अस्पताल में एक-एक जान बचाने, मरीजों को स्वस्थ करने में ही पूरा समय लगा रही हूं। पिछले साल कोरोना के संक्रमण से परिवारों को सुरिक्षत रखने के लिए डॉक्टरों के रुकने के लिए होटलों में व्यवस्था की गई थी, लेकिन इस वर्ष इस तरह की व्यवस्था नहीं है। यह कमी जरूर खलती है।

24 घंटे आन कॉल डयूटी 

जिला अस्पताल के डॉ. अरविंद सिंह का कहना है कि कोरोना आपदा काल में मैं 24 घंटे ऑन कॉल ड्यूटी कर रहा हूं, लंबे समय से मैंने एक भी छुट्टी नहीं ली, न आराम किया है। मेरा काम कोविड के गंभीर मरीजों की देखरेख करना, उन तक दवा व जरूरी चीजें पहुंचाना है। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर राउंड के दौरान गंभीर मरीजों की जानकारी मुझे देते हैं इसके बाद मैं उन मरीजों को देखता हूं। पिछले एक माह में मैने करीबन 600 से 700 मरीजों का उपचार किया है। ऐसे समय न तो परिवार के बारे में सोच पाता हूं, न आराम से सो पाता हूं। बस एक ही सोच रहती है कि मरीज जल्दी से स्वस्थ होकर अपने घर चला जाए।

आपदा का समय परीक्षा की घड़ी 

जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. कविता तिवारी का कहना है कि कोविड आपदा के समय हमारी परीक्षा की घड़ी है। मैं पिछले तीन माह से बिना अवकाश के कभी रात तो कभी दिन में लगातार ड्यूटी कर रही हूं। रोज करीब 100 से 150 मरीजों को देखती हूं। इस समय अधिक संख्या में मरीज अस्पताल में आ रहे हैं। ऐसे समय में उनकी जांच करने में काफी समय लगता है। कठिन ड्यूटी के दौरान हमें एक मिनिट भी आराम करने का समय नहीं मिलता है। अफसोस तो तब होता है जब लोग हम पर लापरवाही के आरोप लगा देते हैं। कई मरीज ऑक्सीजन व बैड की कमी के लिए हमें दोषी मानते हैं। लगातार काम बाद भी अगर इस तरह का व्यवहार मिले तो दुख होता है।

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