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Doctor’s Advice: घबराने से भी कम होता है ऑक्सीजन का स्तर, मानसिक तौर पर मजबूत रहें

Doctor’s Advice: digi desk/BHN/भोपाल/ एक-डेढ़ साल पहले चीन से चला कोरोना आज हमारे घर तक पहुंच चुका है। कोरोना महामारी आने के बाद न जाने कितने लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। भविष्य की आशंका, समय पर महामारी का उपचार न मिल पाने की आशंका, रोजगार छिनने का डर, परिवार से दूर होना, बदली दिनचर्या, आर्थिक असमानता, क्वारंटाइन/आइसोलेशन आदि मानसिक बीमारियों को बढ़ावा दे रहे हैं। कोविड का उपचार ले रहे लोगों में कई बार घबराहट के कारण भी ऑक्‍सीजन का स्तर कम हो जाता है। संक्रमण की गंभीर अवस्था का इलाज ले रहे मरीजों में पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, डिप्रेशन, कोविडसोमनिया होने की आशंका काफी होती है। यहां तक फ्रंटलाइन वर्कर्स भी निराशा, चिड़चिड़ेपन एवं फ्लैशबैक जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। कोविडकाल में कई बार हल्के नकारात्मक भाव आना स्वाभाविक है, जो कि हमें इन स्थितियों का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन अगर इनकी तीव्रता हो जाए कि आपका सामाजिक, व्यक्तिगत और व्यवसायिक जीवन प्रभावित होने लगे तो मनोचिकित्सक की सलाह लेने में हिचकना नहीं चाहिए। यह कहना है भोपाल शहर के ख्‍यात मनोचिकित्‍सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी का, जिन्‍होंने कोरोना काल में लोग अपने जीवन में कैसे सहज रहें, इसे लेकर अनमोल सुझाव दिए।

खराब मानसिक स्वास्थ्य के सामान्य लक्षण

मन का लगातार दुखी रहना, चिंता से घिरे रहना, नींद की आदतों में बदलाव, अनियंत्रित क्रोध, बहुत ज्यादा सोचना, स्वयं को नुकसान पहुंचाने के विचार आना, बार-बार हाथ धोना, ताले चेक करना, बड़ी-बड़ी बातें करना व नशे का आदी होना आदि।

डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी के मुताबिक कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ ही हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। पारिवारिक जुड़ाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य का सबसे बड़ा संरक्षक है। अपनों से लगातार संवाद बनाए रखें। टेक्नोलॉजी के माध्यम से अपने दूरस्थ दोस्तों, रिश्तेदारों से बातें करते रहें। घर के बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ध्यान रखें। अधिकांश बुजुर्ग टेक्नोलॉजी से नहीं जुड़े रहने के कारण अकेला महसूस कर रहे हैं। बच्चों को जीवन कौशल सिखाएं, उनके साथ खेलकूद में समय गुजारें। वास्तविक स्थिति को आत्मसात कर योजनाएं बनाएं। स्क्रीन टाइम यानी मोबाइल और टीवी देखना यथासंभव कम करें। व्यायाम करना अवसाद और चिंता की बीमारी से बचाने का बड़ा हथियार है। नींद की समय सारणी के प्रति अनुशासन बेहद महत्त्वपूर्ण है। किसी भी कारण से नशे के उपयोग से बचें।

अगर आपको या आपके किसी परिजन को कोरोना संक्रमण हो जाए तो धीरज, विवेक और कुशल योजना से इसे जीता जा सकता है। अपने लक्षणों को स्वीकारते हुए सही समय पर उचित चिकित्सकीय परामर्श आपको न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर रखेगा। इंटरनेट मीडिया में सुझाए जा रहे अनावश्यक पर्चों के हिसाब से उपचार न लें। यथासंभव मृत्यु के आंकड़े, भयावह दृश्य देखने से बचें। 10 में से सात मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं हो रही। जिन्होंने अपने किसी नजदीकी व्यक्ति को इस बीमारी से खोया है, उनमें कई लोग गहरे सदमे में हैं। इसे ग्रीफ रिएक्शन कहा जाता है। परिवार में कुछ बहुत ही संवेदनशील और भावुक लोग होते हैं। उनसे परिवार के अन्य लोगों को लगातार बात करना चाहिए। इन सब बातों का ध्यान रखें तो यह लड़ाई हम अवश्‍य जीतेंगे।

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