इंदौर। निजी अस्पतालों की लापरवाही को लेकर दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मंगलवार को हाई कोर्ट ने निजी अस्पतालों व राज्य शासन को नोटिस जारी किया है। साथ ही तल्ख टिप्पणी की कि निजी अस्पतालों में मरीजों को प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल रहा। कोरोना तो दूर, सामान्य बीमारियों में भी निजी अस्पताल इलाज नहीं कर रहे हैं। आखिर सरकार कर क्या रही है। वह बताए कि बगैर इलाज मरीजों को लौटाने वाले अस्पतालों के खिलाफ उसने क्या कार्रवाई की और अस्पतालों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए उसके पास क्या योजना है।
याचिका अर्जुन असोलिया ने एडवोकेट नीलेश मनोरे के माध्यम से दायर की है। इसमें कहा है कि निजी अस्पताल मरीजों को बगैर इलाज लौटा रहे हैं। इलाज नहीं मिलने से मरीजों की मौत हो रही है। शासन के पास अस्पतालों की मनमानी से निपटने के लिए कोई रणनीति नहीं है। याचिका की सुनवाई युगल पीठ में हुई। इसमें गोकुलदास, अरबिंदो और मेदांता अस्पताल को भी पक्षकार बनाया है। आरोप है कि इन अस्पतालों ने 18 अगस्त 2020 को एक मरीज को प्राथमिक उपचार उपलब्ध नहीं कराया जिसके उसकी मौत हो गई। याचिका में मांग की गई है कि इलाज में लापरवाही बरतने वाले और मरीजों को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराने से इन्कार करने वाले अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने अस्पतालों के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने को कहा है। याचिका में अब चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी.