भोपाल। कोरोना से स्वस्थ होने के बाद भी मरीजों का डर नहीं जा रहा है। कई तो ऐसे हैं जिनकी रात की नींद ही गायब हो गई है। सपने में भी आइसीयू दिखाई देता है। वेंटिलेटर की आवाज सुनाई देती है। ज्यादा डर उन मरीजों में है जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर या फिर वेंटिलेटर पर रहे हैं। ठीक होने के बाद उन्हें डर सता रह है कि दोबारा कोरोना न हो जाए।
हमीदिया अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. आरएन साहू ने बताया कि पहले तो कोविड होने के डर के चलते लोगों को चिंता बीमारी हो रही थी। अब कोविड से ठीक हो चुके लोगों की मानसिक परेशानी और ज्यादा बढ़ गई है। उन्हें घबराहट, बेचैनी, नींद नहीं आने, एसिडिटी, चिड़चिड़ापन की तकलीफ हो रही है। उन्होंने बताया कि हर दिन इस तरह के 5 से 6 मरीज उनके पास इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
मनोचिकित्सक डॉ. प्रीतेश गौतम ने बताया कि रोज एक या दो मरीज इस तरह के आ रहे हैं। उनकी नींद गायब हो गई है। सपने में अस्पताल का दृष्य दिखाई देता है। काउंसिलिंग करने व चिंता दूर करने की दवाएं देने के बाद ही उन्हें आराम मिल रहा है। मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने बताया कि उनके पास भी रोज एक-दो मरीज कोरोना से ठीक होने वाले आ रहे हैं। उन्होंने बताया सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से उन्हें पता चला है कि दोबारा भी कोरोना हो सकता है, लिहाजा उनकी चिंता बढ़ गई है। मनोचिकित्सकों ने कहा कि दोबारा कोरोना होने के मामले बहुत कम देखने को मिले हैं, इसलिए किसी को भी इस तरह से डरने की जरूरत नहीं है। हां, सावधान रहने की जरूरत है।
केस 2 : एम्स में 15 दिन तक आइसीयू में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे कोलार के 65 साल के व्यक्ति की सितंबर के पहले हफ्ते में अस्पताल से छुट्टी हो गई है। वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं, लेकिन फिर से कोरोना होने का डर उन्हें सता रहा है। वह मनोचिकित्स डॉ. प्रीतेश गौतम के पास पहुंचे। मरीज ने बताया कि रात में उन्हें डरावने सपने आते हैं। वेंटिलेटर चलने की आवाज आती है। लगता है घर में नहीं आइसीयू में हैं।
केस 3 : 45 साल के युवक को कोरोना होने के बाद चिरायु मेडिकल कॉलेज में इलाज चला। ठीक होने के बाद उन्हें घबराहट होने लगी। दिल के डॉक्टरों को दिखाया। इसीजी समेत सभी जांचें हुईं, पर कुछ नहीं निकला। इसके बाद वह दूसरे हृदय रोग विशेषज्ञ के पास पहुंचे। यहां भी जांच में कुछ नहीं मिला। डॉक्टर ने उन्हें मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी के पास भेज दिया। काउंसिलिंग से पता चला कि मरीज को चिंता की बीमारी है। इलाज के बाद वह ठीक हैं।