one and half thousand toilets:digi desk/BHN/ प्रदेश के प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में तीन साल पहले बालक-बालिका के लिए अलग-अलग शौचालयों का निमार्ण किया जाना था। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से शौचालय बनाने के लिए राशि भी स्वीकृत की गई। अब विभाग को बालिकाओं के लिए प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बने करीब डेढ़ हजार शौचालयों की जानकारी ही नहीं है। प्रदेश में पंचायती राज संचालनालय की स्वीकृति से सितंबर 2018 में ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में बालकों के लिए 2285 एवं बालिकाओं के लिए 1591 शौचालय स्वीकृत किए गए थे, लेकिन बनने के तीन साल बाद भी 1591 बालिका शौचालयों के निर्माण के लिए एजेंसियों को भुगतान नहीं हुआ है। अब स्कूल शिक्षा विभाग यह पता कर रहा है कि यह शौचालय किस मद या योजना के तहत बनाए गए थे और इनकी वर्तमान स्थिति क्या है। जिससे बजट को तलाशकर निर्माण एजेंसियों को भुगतान किया जा सके। राज्य शिक्षा केंद्र के आयुक्त धनराजू एस ने इस पुरानी फाइल को निकालकर इस पर जिले के कलेक्टर्स से तीन दिन में जवाब मांगा है। अब राज्य शिक्षा केंद्र ने कलेक्टर्स को पत्र जारी करके इन शौचालयों के निर्माण, किस मद से, किस योजना के तहत बनाए गए। इसकी जानकारी मांगी है।
3,876 शौचालय बनाए गए
पंचायती राज संचालनालय ने 2018 में बालकों के लिए 2285 एवं बालिकाओं के लिए 1591 शौचालय मिलाकर कुल तीन हजार 876 शौचालयों के लिए 52 करोड़ स्र्पये स्वीकृत किए थे। इन शौचालयों का निर्माण ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाना था। गांवों में शौचालयों के निर्माण के बाद बालकों के 2285 निर्माण के लिए तो राशि जारी हुई, लेकिन बालिका शौचालयों के लिए राशि जारी नहीं हुई। इस संबंध में 2019 में भी विभाग ने पता किया, लेकिन जानकारी नहीं मिल सकी।
इन जिलों में बालक के लिए इतने शौचालय स्वीकृत किए गए
- अलिराजपुर- 105
- बालाघाट – 305
- सिंगरौली- 171
- बैतूल – 119
- बड़वानी – 122
- श्योपुर- 115
- उज्जैन – 93
- मंदसौर- 87
- अशोकनगर- 84
इन जिलों में सबसे अधिक बालिकाओं के लिए स्वीकृत शौचालय
- बालाघाट -231
- सिंगरौली-192
- श्योपुर-137
- अशोकनगर- 104
- गुना- 95
- भिंड – 94
- रीवा- 94
- दमोह- 89
- उज्जैन- 86
- अलिराजपुर- 40
- डिंडौरी- 65
- खरगोन- 77
- गुना- 149
- दमोह – 88
- धार- 94
- अनूपपुर- 98