Fraud of 172 students in name of admission medical collage:digi desk/BHN/ भोपाल की साइबर क्राइम पुलिस ने एक ऑनलाइन कॉलसेंटर का पर्दाफाश कर तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित एक फर्जी वेबसाइट के माध्यम से परीक्षार्थियों को नीट में मिले अंकों के आधार पर देशभर के किसी भी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलवाने का झांसा देते थे। प्रवेश के नाम पर यह गिरोह पांच हजार से दो लाख तक की रकम एक छात्र से ले लेता था। गिरोह का सरगना अरविंद कुमार उर्फ आनंद राव उस्मानिया विश्वविद्यालय में एमटेक में गोल्ड मेडलिस्ट रहा है। इंदौर के विजय नगर निवासी राकेश कुमार और अनामिका (परिवर्तित नाम) को भी गिरफ्तार किया गया है।
साइबर सेल के हत्थे चढ़ा नीट के परीक्षार्थियों को ठगने वाला गिरोह अपने कॉल सेंटर से रोजाना 500 के करीब फोन ऐसे छात्रों को करवाता था, जो नीट परीक्षा में शामिल होकर किसी मेडिकल कॉलेज में सीट तलाश रहे होते थे। यह गिरोह मध्य प्रदेश समेत तमिलनाडु, आंधप्रदेश, केरल, कनार्टक, महाराष्ट्र में कॉल करता था। यह गिरोह पूरे देश में करीब 172 छात्रों से सवा करोड़ रुपये रकम हड़प चुका है। इनमें 26 मध्य प्रदेश, 24 महाराष्ट्र और बाकी के दक्षिण भारत के राज्यों के छात्र हैं। यह गिरोह पूरा पैसा नकद में लेता था और खाते में जमा करवाकर अपना फोन बंद कर छात्र से पूरी तरह से संपर्क खत्म कर लेता था। साइबर पुलिस द्वारा सभी पीड़ित छात्रों का एक इंटरनेट मीडिया ग्रुप बनाकर उस पर आरोपितों के बारे में जानकारी साझा भी की जा रही है।
यूं किया गोरखधंधा
इस गिरोह ने www.studentdatabase.com नाम की वेबसाइट से नीट परीक्षा में शामिल छात्रों का डाटा खरीदा था। इसके बाद यह डाटा अपनी बनाई वेबसाइट www.neetcounselling.com पर अपलोड कर लिया गया था। फिर इन सभी छात्रों को बल्क में मैसेज कर www.neetcounselling.com पर विजिट करने के लिए कहा जाता था। जब छात्र वेबसाइट पर जाता था तो उसे देशभर के मेडिकल कॉलेज के बारे में पूरी जानकारी मिलने के बाद वह कॉल सेंटर से संपर्क करता था। इसके बाद कॉल सेंटर से छात्र के पास लगातार कॉल आने लगते थे। इस कॉल सेंटर में करीब 12 लोग काम करते थे। इस कॉल सेंटर पर निगरानी का काम अनामिका और राकेश पवार के जिम्मे था। छात्र से संपर्क कर उसे बुलाकर होटल में मुलाकात की जाती थी। इसमें छात्रों को कॉलेज में प्रवेश दिलाने का झांसा देकर तीन तरह के पैकेज बारे में बताया जाता था। उन्हें 50 हजार से लेकर दो लाख रुपये तक पैकेज दिया जाता था। 50 हजार रुपये के पैकेज में छात्रों को एमबीबीएस की सीट उपलब्ध कराने की बात की जाती, सीट मिलेगी या नहीं, इस पर संशय होता था, जबकि दो लाख रुपये में सीट पक्की होती थी। इंदौर के विजय नगर में संचालित इस कॉल सेंटर से रोजाना 500 कॉल देशभर में किए जाते थे। यहां काम करने वालों को पांच हजार से लेकर सात हजार रुपये तक वेतन दिया जा रहा था। सौदा तय होने पर भोपाल, इंदौर, बेगलुरु और पुणे में बुलाकर छात्रों से रकम खाते में नकद जमा कराई जाती थी। रकम खाते में आने के बाद वे अपना मोबाइल बंद कर देते थे।
सरगना उस्मानिया विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडलिस्ट
इस गिरोह का सरगना अरविंद कुमार उर्फ आनंद राव उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद का एमटेक का गोल्ड मेडलिस्ट है। वह इंजीनियरिंग छात्रों को कोचिंग भी देता है। इस कोचिंग के दौरान वह राकेश पवार और अनामिका के संपर्क में आया था। आरोपित ने अपना पूरा यह नेटवर्क लॉकडाउन के दौरान तैयार किया। उसने ठगी की रकम को बीमा पॉलिसी, शेयर और सोना में निवेश किया है। इस गिरोह से पुलिस ने 15 कंप्यूटर, 12 लैपटॉप, 27 मोबाइल फोन, 13 एटीएम कार्ड, एक पासपोर्ट, दो चेक बुक के साथ अन्य दस्तावेज जब्त किए हैं।
इनका कहना है
मेडिकल कॉलेज में सीट दिलाने के नाम पर 172 छात्रों के साथ धाखोधड़ी की गई है। इसमें 26 मप्र के हैं, बाकी बाहर के है। इसमें तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। इंदौर के विजय नगर में कॉल सेंटर से यह गिरोह संचालित हो रहा था। मुख्य आरोपित उस्मानिया विश्वविद्यालय गोल्ड मेडलिस्ट छात्र है।
-अंकित जायसवाल, पुलिस अधीक्षक, साइबर क्राइम भोपाल