side effect corona m.p:digi desk/BHN/ कोरोना काल में पति-पत्नी के रिश्तों में आई खटास कुटुंब न्यायालय में भौतिक सुनवाई शुरू होने के बाद सामने आ रही हैं। आलम यह है कोर्ट में हर दिन तलाक और भरण पोषण के 10 से 15 केस दायर हो रहे हैं। सात जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाने वाले अलग होने के लिए अजब-अजब तर्क दे रहे हैं। ज्यादातर मामले प्रेम विवाह के हैं। इनमें कोई पति, पत्नी को घुमाने अपने लाया तो उसे अगले दिन तलाक का नोटिस मिल गया और कोई कोविड के कारण पत्नी को नहीं घुमाने नहीं ले गया पत्नी ने तलाक का केस दायर कर दिया।
पहला मामला ग्वालियर के लड़के और पुणे की लड़की का है। कविता और अभिषेक (परिवर्तित नाम) पांच साल लिव इन रिलेशन में रहे और नवंबर 2019 में दोनों ने शादी कर ली। दोनों पुणे में नौकरी करते थे। लाकडाउन के अभिषेक पत्नी कविता को ग्वालियर लेकर आया तो पत्नी ने शहर घुमाने की फरमाइश की। अभिषेक ने उसे शहर में सभी जगह घुमाया। कविता ने उसे कोर्ट दिखाने की बात कही तो वह उसे वहां भी ले गया। लेकिन उसे यह कतई अंदाज नहीं था कि अगले ही दिन तलाक का नोटिस भेजकर कविता चुपके से पुणे लौट जाएगी। पति अभिषेक के मां-बाप बुजुर्ग हैं। तलाक का नोटिस घर आने के बाद दोनों बहुत दुखी हैं। उन्होंने बेटे का विवाह बचाने के लिए कविता से फोन पर बात की और कहा- उन्हें कुछ नहीं चाहिए। चाहे तो वह अपनी संपत्ति बेटे को देने के लिए तैयार हंै लेकिन वह तलाक न ले। लेकिन कविता नहीं मानी। कोर्ट में भी दोनों को जोड़ने के प्रयास किए गए।
पति घुमाने नहीं ले गया पत्नी लगा दिया तलाक केस
यह मामला महाराष्ट्र के पुणे का है। रोहित और सिद्धी (परिवर्तित नाम) भी निजी कंपनी में नौकरी के दौरान मिले। लिव इन रिलेशन में रहने के बाद इन दोनों ने भी विवाह किया। कोविड के कारण लगे लॉकडाउन में सिद्धी ने रोहित के सामने किसी हिल स्टेशन घुमाने की फरमाइश की। कोविड के कारण वह पत्नी को फरमाइश पूरी नहीं कर सका। इससे नाराज होकर पत्नी ने कुटुंब न्यायालय में तलाक का केस लगा दिया। पत्नी का कहना है कि लिव इन के दौरान जहां कहती थी, वहां लेकर जाते थे। चाय से लेकर आफिस का टिपिन पैक करके देते थे, शादी के बाद सबकुछ बंद कर दिया। रोहित व सिद्धी ग्वालियर के रहने वाले हैं।
छिपाई कमाई, कोर्ट ने बंद कर दिया भरण पोषण
कुटुंब न्यायालय ने एक मामले में पत्नी का भरण पोषण बंद करने का आदेश दिया है। पति से अलग होने के बाद पत्नी 45 हजार रुपये महीना कमाने लगी। लेकिन उसने इसकी जानकारी पति को नहीं दी। वह पति से हर माह 10 हजार रुपये भरण-पोषण की राशि लेती रही। पति को जब इस बात की जानकारी लगी तो यह बात कोर्ट के संज्ञान में लगाई। कोर्ट ने पत्नी को कमाने योग्य मानते हुए भरण पोषण बंद करने का आदेश दे दिया। महिला शहर के नामचीन स्कूल में पढ़ाती है।