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MP: अब खेत में खड़े पेड़ काटकर और डिपो खोलकर बेच सकेंगे किसान

MP News: digi desk/BHN/ मध्य प्रदेश में किसान और आमजन (उत्पादक) अपने खेत-खलिहान या घर-आंगन में खड़े पेड़ न सिर्फ काट सकेंगे, बल्कि डिपो (पीठा) खोलकर लकड़ी को ऑनलाइन बेच भी सकेंगे। इसके लिए उन्हें किसी भी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। राज्य सरकार ‘मप्र वृक्षारोपण प्रोत्साहन अधिनियम 2020″ ला रही है। जिसमें ये प्रविधान किए जा रहे हैं। अधिनियम का मसौदा तैयार है और अगले हफ्ते प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद कानून विधानसभा से पारित कराया जाएगा। विधानसभा का सत्र 22 फरवरी से प्रस्तावित है।

निजी भूमि पर पौधारोपण के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार यह कानून ला रही है। कानून नगरीय निकायों की सीमा को छोड़कर पूरे प्रदेश में लागू होगा। निजी भूमि पर प्राकृतिक रूप से उगने वाला और रोपा गया पौधा इस कानून के दायरे में आएगा। कानून लागू होने के बाद ऐसे किसी भी पेड़ को काटने और कटाई स्थल से डिपो तक परिवहन के लिए किसी से भी अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। यहां तक की इमारती लकड़ी कहे जाने वाले साल और सागौन की लकड़ी भी उत्पादक अपने डिपो से बेच सकेंगे। कानून के मसौदे पर विधि विभाग अभिमत दे चुका है। इसे वरिष्ठ सदस्य सचिव समिति की मंजूरी भी मिल चुकी है।

पेड़ों का कराना होगा पंजीयन

कानून आने के बाद ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भूमि में लगे पेड़ों का हिसाब देना होगा। उन्हें वन विभाग में पंजीयन कराना होगा। इसमें खसरे पर पेड़ दिखाने होंगे। जिसमें यह भी रहेगा कि पेड़ किस प्रजाति का है और कितने साल पुराना है। इस जानकारी में पेड़ की लंबाई और मोटाई भी देना होगी। इतना ही नहीं, इन पेड़ों को काटने से पहले वन विभाग को अनिवार्य रूप से सूचना देना होगी।

अभी ये प्रविधान

वर्तमान में खेत-खलिहान या घर-आंगन पर खड़े पेड़ों की कटाई और छंटाई के लिए भी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से अनुमति लेना पड़ती है। यह प्रक्रिया इतनी जटिल है कि किसान या आमजन अपनी जमीन पर पौधों को पेड़ नहीं बनने देते हैं।

पंचायत से बाहर परिवहन पर लेना होगा टीपी

सागौन और साल की लकड़ी के मामले में उत्पादक को पंचायत क्षेत्र से बाहर परिवहन करने के लिए ट्रांजिट परमिट (टीपी) लेना जरूरी होगा। वन विभाग की वेबसाइट पर परमिट ऑनलाइन जेनरेट करने की व्यवस्था की जा रही है। उसे किसी कार्यालय के चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।

सूचना नहीं देने पर 50 हजार का जुर्माना

पेड़ काटने से पहले सूचना न देने या नियमों को दरकिनार कर परिवहन की कोशिश करने पर अधिकतम 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकेगा। इसके लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम) अधिकृत होंगे। एसडीएम के फैसले के खिलाफ कलेक्टर के समक्ष अपील का प्रविधान भी किया गया है।

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