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एक तीर्थनगरी में दो नियम, ओंकारेश्वर का गर्भगृह में पूजन, ममलेश्वर के दूर से ही दर्शन

Two rulis in a pilgrimage worship of omkareshwar:digi desk/BHN/खंडवा-ओंकारेश्वर तीर्थनगरी में अलग-अलग नियम भक्तों की आस्था को चोट पहुंचा रहे हैं। जहां, बुधवार को ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति प्रशासन ने जारी कर दी, वहीं ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश और पूजन-अभिषेक पर प्रतिबंध जारी रहा। एक ही तीर्थ स्थल पर दर्शन के अलग-अलग नियम दर्शनार्थियों और पंडितों के लिए परेशानी की वजह बन रहे हैं। ममलेश्वर मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आने से कोरोना संक्रमण के दौरान लागू नियम अभी भी बरकरार हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए ओंकारेश्वर व ममलेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर 20 मार्च को रोक लगा दी थी।

प्रशासन व मंदिर ट्रस्ट ने समय-समय पर नियमों में बदलाव कर सभी प्रतिबंध हटा दिए, जबकि पुरातत्व विभाग ने ममलेश्वर मंदिर में भक्तों को बाहर से ही दर्शन करने की अनुमति दे रखी है। पं. श्रीकांत जोशी व पं. महेश शर्मा ने कहा कि एक ही तीर्थ में दो नियम कैसे हो सकते हैं। यह रोक हटाई जाए।

  • कोरोनाकाल के दौरान 20 मार्च 2020 से भगवान ओंकारेश्वर के गर्भगृह में प्रवेश पर लगी रोक बुधवार को हट गई। उत्साहित हजारों भक्तों ने भगवान ओंकारेश्वर के मूल स्वरूप को नजदीक से निहारा और जल, फूल अर्पित किए। पहले दिन 10 हजार श्रद्धालु पहुंचे। इसके पूर्व छह-सात हजार श्रद्धालु आ रहे थे।– हरीश शर्मा
  • ओंकारेश्वर स्थित ममलेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश और भक्तों के पूजन-अभिषेक पर प्रतिबंध हटाने के लिए प्रस्ताव मुख्यालय को भेज दिया है। वहां के आदेशानुसार कदम उठाया जाएगा। – विपुल मेश्राम, संरक्षण सहायक पुरातत्व विभाग

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