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Satna: ओलावृष्टि के सर्वेक्षण और किसानों को राहत के लिए जिलों में प्रक्रिया प्रारंभ


राजस्व महाअभियान की अवधि अब तक 10 मार्च तक
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समीक्षा में दिए निर्देश


सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हाल ही में कुछ जिलों में हुई ओलावृष्टि के दृष्टिगत सर्वेक्षण सहित प्रभावित किसानों को राहत के लिए आवश्यक कार्यवाही सम्पन्न की जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आज शाम इस संबंध में प्रमुख सचिव राजस्व और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। समीक्षा में जानकारी दी गई कि प्रभावित जिलों में किसानों के हित में आवश्यक प्रकिया प्रारंभ कर दी गई है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गत 15 जनवरी से प्रारंभ किए गए राजस्व महाअभियान को 29 फरवरी तक संचालित करने के निर्देश दिए गए थे। अभियान में अब तक 1.65 लाख प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। कुल 2.5 लाख नए प्रकरणों को दर्ज किया गया था। इसके साथ ही दो लाख 14 हजार समय सीमा पार वाले लंबित प्रकरणों का निराकरण भी किया गया है। अभियान से आमजन को काफी राहत मिली है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अभियान की अवधि 10 मार्च तक बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
समीक्षा के दौरान प्रमुख सचिव राजस्व ने बताया कि राजस्व विभाग द्वारा समय सीमा पर लंबित राजस्व प्रकरणों (नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, अभिलेख, दुरूस्ती, नक्शे पर तरमीम) के निराकरण के लिए राजस्व महाअभियान का आयोजन 15 जनवरी से प्रारंभ किया गया था, जो जारी है। अभियान के लिए राजस्व विभाग ने समस्त जिलों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये। सभी जिला कलेक्टर की निगरानी में चिन्हित गतिविधियों को संबंधित तहसीलदार एवं पटवारियों द्वारा पूर्ण करने का कार्य किया गया है। राज्य स्तर के साथ ही जिला स्तर और तहसील स्तर पर भी प्रतिदिन प्रकरणों के निराकरण की मॉनीटरिंग का कार्य किया जा रहा है।

साइबर तहसील में नामांतरण 15 दिन में, साइबर तहसील का शुभारंभ आज

मध्यप्रदेश के राजस्व प्रशासन सुधार में साइबर तहसील व्यवस्था के माध्यम से नागरिकों के हित में अभूतपूर्व परिवर्तन होने जा रहा है। 29 फरवरी को प्रदेश के सभी जिलों में एक साथ साइबर तहसील का शुभारंभ होगा। अब प्रदेश में राजस्व प्रकरणों का निराकरण अत्यंत कम समय में हो जाएगा। भू अभिलेखों में अमल के बाद भू-अभिलेखों एवं आदेश की सत्यापित प्रतिलिपि संबंधित पक्षकार को मिल सकेगी। अब अनावश्यक रूप से लंबित रहने वाले प्रकरणों का तकनीकी सहायता से कम समय में गुणवत्तापूर्ण निराकरण हो सकेगा। साइबर तहसीलों में औसत 15 से 17 दिनों का समय लग रहा है, जो मैन्युअल प्रक्रिया में लगने वाले 60 दिनों की तुलना में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 15 दिन की समय सीमा में बिना आवेदन दिए, पेपरलेस और ऑनलाइन नामांतरण तथा भू अभिलेख अद्यतन करने के लिए साइबर तहसील स्थापित की गयी है। इस प्रकार संपूर्ण खसरा के क्रय-विक्रय से संबंधित नामांतरण प्रकरणों का निराकरण साइबर तहसीलों से किया जा सकता है। इस प्रकार के प्रकरणों में त्वरित नामांतरण के अलावा भू-अभिलेख अपडेट होगा। तहसील स्तर पर अविवादित प्रकरणों के निराकरण का भार कम होगा। साइबर तहसील की व्यवस्था के लिए राजस्व विभाग द्वारा मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 में संशोधन कर धारा 13-क में साइबर तहसील के प्रावधान किए गए हैं। अब साइबर तहसील की व्यवस्था सभी जिलों में लागू हो रही है।
कैसे होगा काम- साइबर तहसील में पंजीयन से नामांतरण तक की प्रकिया लागू कर दी गई है। साइबर तहसील को 4 अलग-अलग प्लेटफार्मों जैसे संपदा पोर्टल, भूलेख पोर्टल, राजस्व प्रकरण प्रबंधन व्यवस्था के पोर्टल से जोड़ दिया गया है।
सायबर तहसील में ऐसे प्रकरण निराकरण योग्य हैं- संपूर्ण खसरा, जिसे विभाजित नहीं किया गया एवं ऐसी जमीन जो किसी प्रकार से गिरवी या बंधक ना रखी गई हो। पोर्टल पर पंजीयन करने के बाद और रजिस्ट्री के बाद रेवेन्यू पोर्टल पर स्वतः केस दर्ज हो जाएगा। इसके बाद सायबर तहसीलदार द्वारा जाँच की जाएगी। सूचना के बाद इश्तेहार एवं पटवारी रिपोर्ट के लिए मेमो जारी किया जाएगा। इसके बाद आदेश पारित कर भू-अभिलेख को अपडेट किया जाएगा। दस दिन बाद दावा आपत्ति प्राप्त नहीं होने पर ई-मेल एवं वाट्सअप से आदेश दिए जायेंगे।
साइबर तहसील की विशेषतायें व लाभ- रजिस्ट्री के बाद बिना आवेदन किये नामांतरण का प्रखंड दर्ज हो जाता है। इस प्रक्रिया में क्रेता और विक्रेता को नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय में उपस्थित होने, पेशी पर आने की जरूरत नहीं है। संपूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन है। नोटिस क्रेता विक्रेता तथा ग्राम के सभी निवासियों को एसएमएस से मिलता है। नोटिस आरसीएमएस पोर्टल पर भी दिखता है। इसमें ऑनलाइन आपत्ति दर्ज की जा सकती है। अंतिम आदेश की कॉपी ई-मेल या व्हाट्सएप के माध्यम से आवेदक को मिलेगी। आदेश पारित होते ही स्वतः भू-अभिलेखों में सुधार हो जाता है। आदेश एवं राजस्व अभिलेखों में अमल की प्रक्रिया अवकाश को छोड़कर 15 दिनों में पूरी हो जाएगी। इस प्रणाली से रियल टाइम में भू अभिलेख अपडेट किए जाने की अनूठी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इससे पटवारी का हस्तक्षेप नहीं रहेगा। पटवारी रिपोर्ट ऑनलाइन जमा करने की सुविधा है। कम से कम समय में निराकरण होगा। पहले इन प्रक्रियाओं में औसत 60 दिन लग जाते थे। साइबर तहसील में औसत 15 दिनों में ही यह प्रक्रिया पूरी हो जायेगी। साइबर तहसील द्वारा पारित आदेश की पीडीएफ प्रति आवेदक को ईमेल-व्हाट्सएप से मिल जाएगी। इसकी प्रति आरसीएमएस पोर्टल पर भी अपलोड होगी।

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