court news:digi desk/BHN/ बालाघाट जिले की खैरलांजी थाना पुलिस ने साधारण मारपीट की घटना होने के बावजूद जानलेवा हमले की धारा-307 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया। इसी के साथ आरोपित उमेंद्र को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया। जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। 28 अगस्त से वह जेल में है। कोविड-19 काल में जेल में अधिक समय रहना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। लिहाजा, आवेदक उमेंद्र को जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ के समक्ष अधिवक्ता मनीष मेश्राम ने यह दलील दी। कोर्ट ने दलील से सहमत होकर जमानत की मांग मंजूर कर ली। इससे पूर्व यह भी साफ किया गया कि मामला काउंटर केस का है।
हाईकोर्ट ने कई बार निर्देश दिए तब जाकर पेश की गई नाबालिग : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर की गई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर एक-दो नहीं बल्कि दस से अधिक पेशियां गुजर गईं। कोर्ट ने बार-बार निर्देश दिए, तब कहीं पुलिस अपह्त नाबालिग को खोजकर वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए पेश कर सकी।
सुधारगृह भेजने व्यवस्था दी : एकलपीठ के समक्ष उसके बयान दर्ज हुए। जिसमें उसने साफ कर दिया कि वह माता-पिता या अपहरणकर्ता किसी के साथ भी नहीं जाना चाहती। लिहाजा, कोर्ट ने उसे सुधारगृह भेजे जाने की व्यवस्था दे दी। हाईकोर्ट ने साफ किया कि नाबालिग को एक माह के लिए सुधारगृह भेजा जा रहा है। आगामी सुनवाई के दौरान उसे पुन: प्रस्तुत किया जाए। एक माह बाद नए सिरे से मामले का जायजा लिया जाएगा। उस दौरान जो स्थिति बनेगी, उसके अनुरूप आदेश पारित करेंगे। यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका अक्टूबर 2019 में दायर की गई थी। याचिकाकर्ता का आरोप था कि उनकी नाबालिग नातिन को एक असामाजिक तत्व अगवा करके ले गया है। इसकी शिकायत थाने में की गई। लेकिन पुलिस ने आरोपित के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करने के स्थान पर महज गुमशुदगी का प्रकरण कायम कर खानापूर्ति कर ली। इसीलिए हाईकोर्ट आना पड़ा।