रीवा। जिले के किसानों में फूल की खेती करने को लेकर अब रूझान बढ़ने लगा है और स्थानीय किसानों द्वारा तैयार किए जाने वाला फूलों के राजा गुलाब की महक देश की राजधानी दिल्ली में भी पहुंच रही है। पाली हाऊस में किसानों द्वारा अच्छे किस्म के गुलाब के फूल तैयार किए जा रहे हैं और फूलों को बिक्री करने के लिए सबसे ज्यादा दिल्ली और बनारस भेजा जाता है। तो वहीं मुंबई से भी रीवा के फूलों की डिमांड आ रही है और आर्डर पर फूलों की सप्लाई किसानों द्वारा की जाती है। बताया जा रहा है कि पिछले सात से आठ वर्षो के अंतराल में फूल की खेती को लेकर जिले में माहौल तैयार हुआ और अब किसानों में फूल की खेती को लेकर उत्साह है। यही वजह है कि आगामी वर्षों में फूल की खेती को लेकर उद्यानिकी विभाग जिले में बेहतर भविष्य देख रहा है।
90 प्रतिशत फूल स्थानीय किसानों के
हर्टी कल्चर के क्षेत्र में किसानों को लगातार जानकारी देकर इसमें रोजगार के अवसर और फूलों में अच्छे व्यापार के प्रति उत्साहित किए जाने का प्रभाव रहा कि किसानों ने फूलों की खेती की शुरूआत की और आज जिले में 90 प्रतिशत फूल स्थानीय किसानों के बाजार में पहुंच रहे हैं। जबकि इसके पूर्व इलाहाबाद व अन्य बड़े शहरों से व्यापारी फूल खरीदी करके लाते थे। जिले की मिट्टी में फूल तैयार होने से अब उसका निर्यात किया जा रहा है। जिले के किसानों ने स्वयं मेहनत करके और शासन से मिलने वाले अनुदान का उपयोग कर पाली हाऊस तैयार किया है। बताया जा रहा है कि जिले में कुल 22 पाली हाऊस संचालित हो रहे हैं। जिनमें से 19 पाली हाऊस में किसान फूल की खेती कर रहे हैं। जबकि तीन पाली हाऊस में सब्जी तैयार की जा रही है। रामनई में बने हुए पाली हाऊस में तैयार होने वाले गुलाब के फूलों की खुशबू और उसकी सुंदरता को देखकर लोग चकित हो जाते हैं और इस तरह के तैयार होने वाले फूलों की डिमांड महानगरों में हो रही है।
50 से 60 की है प्रतिदिन आय
जिले में फूलों का अच्छा व्यापार हो रहा है और एक अनुमान के मुताबिक 50 से 60 हजार रुपये प्रतिदिन जिले में फूल का कारोबार किसान कर रहे हैं। किसानों को एक वर्ष में प्रति एकड़ सात से आठ लाख रुपये फूल का व्यापार करने में सफलता मिल रही है। पहले फूल की खेती के प्रति किसानों में उतनी रूची नहीं थी। नेट में उपलब्ध जानकारी और शासन से मिल रहे सहयोग एवं उसका बाजार मिलने के कारण किसानों में इस खेती के प्रति लगाव बढ़ा है। पाली हाऊस के अलावा सामान्य जमीनों पर भी किसान फूल तैयार करके उसका व्यापार कर रहे हैं।