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सोन घड़ियालों की नींद में खलल डाल कर अवैध रेत उत्खनन 

मझौली । सोन घड़ियाल क्षेत्र में अवैध रेत उत्खनन और परिवहन के लिए रोक लगाया गया है। जिसके लिए समय-समय पर संभाग स्तरीय बैठक आयोजित कर दिशा निर्देश भी दिए जाते रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि सोन घड़ियाल क्षेत्र के बनास नदी में धड़ल्ले से रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि वन परिक्षेत्र मझौली अंतर्गत परिसिली ग्राम के सीमा क्षेत्र जहां बनास नदी जो सोन घड़ियाल क्षेत्र के अंतर्गत आता है वहां से रेत माफियाओं द्वारा रात में जेसीबी मशीन से रेत उत्खनन कर भंडारित किया जाता है और फिर दिन रात उसी रेत परिवहन का काला कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है फिर भी वन विभाग के मैदानी एवं आला अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। बैरियर से पार होते हैं रेत भरे वाहनः चमराडोल चौराहे में वन विभाग द्वारा नाका लगाया गया है जहां अवैध रूप से वनोपज,लकड़ी एवं रेत बगैरा की निकासी ना हो सके बावजूद इसके उसी बैरियर से दिन रात रेत भरे वाहन निकल रहे हैं जहां दो वन विभाग के कर्मचारी मुख्य रूप से तैनात रहते हैं फिर भी उनके द्वारा न तो कार्रवाई की जाती है और ना ही रोक लगाई जाती है।

 नाला के नाम पर बनास नदी से खनन
सीधी व शहड़ोल जिले की सीमा से निकलने वाली बनास नदी से शहडोल जिले के सीमा पर स्थित बोड्डिहा गांव में भंडारण के नाम पर बनास नदी से रेत निकालकर सीधी, शहडोल व रीवा के लिए भारी मात्रा मे रेत निकासी की जा रही है जहां वाहन चालकों द्वारा एक गाड़ी की टीपी बनवाकर दो से तीन चक्कर रेत उसी टी पी से निकालते हैं जिसके लिए उन्होंने परसिली ग्राम से डम्प की गई रेत का उपयोग करते हैं व चमराडोल स्थित वैरियर से ही निकलकर सीधी व मझौली के लिए जाते हैं जिसमे वन अमला का बराबर सहयोग माना जा रहा है।

जिम्मेदारी से बच रहे परिक्षेत्र अधिकारीः एक तरफ वन विभाग के परिक्षेत्र अधिकारी प्रेम लाल वंशकार अपने को इस मामले से अनजान बताते हैं वही कार्रवाई करने के सवाल पर डिप्टी रेंजर की जिम्मेवारी बताते हैं।

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