कल लोकसभा ने मज़दूरों के अब तक बहुत सारे संघर्षों से मिले अधिकारों को नये बिल के ज़रिये तिलांजलि दे दी। किसानों के बाद मज़दूरों को भी हलाल कर दिया गया । आज विपक्ष से ख़ाली राज्य सभा भी इसे पास ही कर देगी ।
अब किसी व्यावसायिक इकाई में मज़दूर के पास कोई हक नहीं होगा । उसे जब चाहें तब लात मारकर नौकरी से निकाला जा सकेगा और उसकी पगार (जो मालिक बताये वह) भी मालिक दे या हड़प ले यह उसके ज़मीर पर निर्भर होगा ! लेबर इंस्पेक्टर नामक एक रिश्वतख़ोर ढक्कन जो अब तक लेबरों से ज्यादा पूंजीपतियों का हितचिंतक रहा है। वह भी अब उस टिशू पेपर में बदल दिया गया है जिससे पूंजीपति हांथ पोंछते हैं ! दोनों सदनों में बिना किसी संवाद के देश की सबसे बड़ी सामुदायिक इकाई “मज़दूर” के हक छीन लिये गये ।
अब हमने पूंजीवाद के पक्ष में सारे फ़ैसले कर दिये हैं । मोदीजी ने दरअसल अवतार ही इसीलिये लिया था कि पूरे देश की सारी दौलत सारी ज़मीन सारा कुछ उनके पाँच-दस दोस्तों का हो जाय और सारे क़ानून ऐसे बना दिये जाएँ कि बाक़ी बची आबादी एक बार फिर से गुलामों में बदल जाय ।
जनाब..ये नया भारत है आप थालियाँ बजाइये , सुशांत के काल्पनिक कत्ल के जुर्म में कुछ बेहद कमजोर लोगों पर संस्थागत जुल्म कीजिये ! कल्पना में चीन को परास्त करते रहिये और यथार्थ में पूरा देश चंद पूँजीपतियों को सौंप दिये जाने का जश्न मनाइये !