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Satna: डीएपी उर्वरक के विकल्पों का उपयोग करें, कृषि विभाग ने दी सलाह 

सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने जिले के किसानों से आग्रह किया है कि किसान डीएपी उर्वरक पर निर्भर ना रहें। उसकी जगह अन्य विकल्पों का उपयोग करें। डीएपी (डाय-अमोनियम फास्फेट) उर्वरक एक महत्वपूर्ण उर्वरक है। जिसमें 18 प्रतिशत नाइट्रोजन तथा 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है।

किसान फसलों में नाइट्रोजन तथा फास्फोरस दोनो की पूर्ति हेतु उर्वरक का उपयोग कई बार से करते आ रहे है। जिससे डीएपी उपयोग के आदी हो चुके है। भारत सरकार द्वारा 12 सौ रूपए प्रति बोरी की सब्सिडी दी जा रही है। डीएपी उर्वरक की अधिकतम मात्रा विदेशो से आयात की जाती है। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि आने वाले रबी मौसम में डीएपी उर्वरक की उपलब्धता बहुत कम होगी। अतः किसान अपनी फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति डीएपी के स्थान पर अन्य उर्वरकों से करनी होगी। अतः किसान डीएपी के स्थान पर नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की पूर्ति बाजार में उपलब्ध अन्य उर्वरकों जैसे यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट तथा एनपीके आदि उर्वरको से पूर्ति कर सकते है।

जिले में अब तक 812.5 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज

जिले में इस वर्ष 1 जून से 7 अक्टूबर 2021 तक 812.5 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गई है। अधीक्षक भू-अभिलेख सतना से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले की सतना (रघुराजनगर) तहसील में 1102.3 मि.मी., सोहावल (रघुराजनगर) में 1154.6 मि.मी., बरौंधा (मझगवां) में 633.5 मि.मी., बिरसिंहपुर में 854.5 मि.मी., रामपुर बघेलान में 633 मि.मी., नागौद में 1066 मि.मी., जसो (नागौद) में 482.5 मि.मी, उचेहरा में 811 मि.मी, मैहर में 534.2 मि.मी., अमरपाटन में 735 मि.मी. तथा रामनगर तहसील में 930.9 मि.मी. औसत वर्षा अब तक दर्ज की जा चुकी है। जिले की औसत सामान्य वर्षा 1039.7 मि.मी. है। गत वर्ष इस अवधि तक जिले में 789 मि.मी. वर्षा दर्ज की जा चुकी थी।

 

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