सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ ए.के अवधिया ने बताया कि ऐसे लोग सतर्क रहें जो मुर्गी पालन या मुर्गी व्यवसाय के क्षेत्र में कार्यरत हैं या जो पक्षियों के संपर्क में आते हैं, तो ऐसे लोगों को इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण सर्दी, जुखाम, बुखार, सांस लेने में तकलीफ होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर जांच कराएं।
प्रदेश के कई जिलों में कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। प्रदेश में अब तक लगभग 400 कौओं की मृत्यु की सूचना मिली है। संचालक पशुपालन के अनुसार मुर्गियों में बर्ड फ्लू वायरस अभी तक नहीं पाया गया है। चिकन तथा अण्डोंं आदि को अच्छी तरह पकाकर उपयोग किया जा सकता है। इनसे मानव स्वास्थ्य को किसी प्रकार का खतरा नहीं है। प्रदेश में बर्ड फ्लू की स्थिति से भारत सरकार को प्रतिदिन अवगत कराया जा रहा है। पशुपालन विभाग द्वारा बर्ड फ्लू वाले जिलच्ं में कलेक्टर्स के मार्गदर्शन में पशुपालन, वन, स्वास्थ्य विभाग एवं स्थानीय निकायच्ं के समन्वित प्रयासों से तत्काल रोग नियंत्रण, सैम्पल एकत्रीकरण, डिसइन्फेक्शन, डिस्पोजल आदि की कार्यवाही की गई है।
भारत सरकार की एडवाइजरी के अनुसार कार्यवाही करने और सतर्कता बरतने के निर्देश दिये गये हैं। राज्य पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भोपाल के माध्यम से जिलों से समन्वय कर तकनीकी मार्गदर्शन दिया जा रहा है। संदिग्ध नमूने भोपाल स्थित भारतीय उच्च सुरक्षा रच्ग अनुसंधान प्रयोगशाला को नियमित भेजे जा रहे हैं। पशुपालन विभाग द्वारा जन-जागरूकता के लिये कुक्कुट-पालकों और संबंधित व्यवसाईयों के बर्ड फ्लू से बचाव के लिये आवश्यक जानकारी दी जा रही है। प्रदेश के सभी जिलों में पशुपालन विभाग के अमले द्वारा जन-जागरूकता के साथ पूर्ण सतर्कता और सावधानी रखी जा रही है। कौओं, मुर्गियों अथवा अन्य पक्षियों में बीमारी या अप्राकृतिक मृत्यु की सूचना मिलते ही तत्काल सैम्पल भोपाल लैब भेजे जा रहे हैं। संक्रमित स्थान को स्थानीय निकाय के सहयच्ग से तुरंत सेनेटाइज किया जा रहा है।
इधर आलाकमान की चेतावनी
अति आवश्यक श्रेणी में आने वाली दवाईयों की उपलब्धता सातों दिन और चौबीसों घंटे रहे
अनदेखी पर सिविल सर्जन और सीएमएचओ सीधे जिम्मेदार होंगे
सभी जिला स्वास्थ्य संस्थाओं में अति आवश्यक औषधि की श्रेणी में आने वाली दवाइयां/ईडीएल/एसेंशियल ड्रग लिस्ट की दवाईयों की स्वास्थ्य संस्थाओं में उपलब्धता सातों दिन चौबीस घंटे रहना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर सिविल सर्जन और जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीधे जिम्मेदार होंगे। निर्देशों की अनदेखी पर उनके विरुद्ध कार्रवाई भी हो सकती है।
प्रबंध संचालक एमपी हेल्थ सर्विस कॉरपोरेशन द्वारा प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और सिविल सर्जन को निर्देशित किया गया है कि वे स्वास्थ्य संस्थाओं के औषधि भंडारण की स्थिति का निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि अति आवश्यक औषधियों की श्रेणी में आने वाली दवाएं संस्था में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। इन दवाईयों का 3 माह का बफर स्टॉक संस्थाओं में रखा जाए। निरीक्षण के दौरान यदि दवाई कम मात्रा में अथवा अनुपलब्ध है तब इन दवाईयों को क्रय करने के लिए तत्काल आदेश जारी करें। इसे एमपी औषधि पोर्टल पर अपडेट भी करें। इसमें अनदेखी और लापरवाही संज्ञान में आने पर संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और संबंधित स्वास्थ्य संस्था के सिविल सर्जन सीधे जिम्मेदार होंगे।