सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने बताया म.प्र. रबी फसलों में पाले से कैसे बचाव करें, इस हेतु जिले के किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। उन्होंने बताया जिले में रबी मौसम में मुख्यत: गेहॅू, चना, मक्का एवं सब्जी फसले बुआई की गई है। जलवायु असामान्य होने के कारण शीतकाल में हवा की दिशा उत्तरायण होने पर तापमाान लगातार गिर रहा है। तापमान 5 डिग्री सेन्टीग्रेड से नीचे होने पर पाला पड़ने की सम्भावना अधिक बढ जाती है। ऐसी स्थिति में पौधें पर उपस्थित नमी के कण बर्फ रूप ले लेती है। जिससे पौधो की पत्तियों पर बर्फ की परत बन जाती है। बर्फ की परत बनने के कारण पौधों के स्टोमेटा (छिद्र) बन्द हो जाने से पौधों में भूमि एवं हवा-वातावरण से पोषक तत्व ग्रहण करने की क्षमता खत्म हो जाती है, तथा धीरे-धीरे पौधा सूखने लगता है। ऐसी स्थिति को पाला कहा जाता है। पाले के कारण फसल में फूल बनने या बालियॉ फलियॉ बनते समय अधिक नुकसान होता है तथा उत्पादन घट जाता है जिससे किसानों को हानि होती है। यह स्थिति जनवरी माह में अधिक होती है।
फसल को पाला से बचाव के लिये किसानों को उपाय एवं सलाह दी जा रही है। जब पाला पड़ने की संभावना हो तब खेत में सिंचाई कर देनी चाहिए। नमीयुक्त खेत में काफी समय तक गर्मी रहती है और भूमि का तापमान एकदम से कम नहीं होता है। जिस रात पाला पड़ने की संभावना हो उस रात में 12 से 2 बजे के बीच खेत के किनारे फसल के आस-पास की मेड़ो पर 10-20 फुट के अंतर पर कूड़ा-कचरा, घासफूस जलाकर धुआं करना चाहिए, ताकि वातावरण में गर्मी आ जाए। जब पाला पडने की संभावना हो उन दिनों सभी प्रकार की फसलों पर 20 से 25 किग्रा प्रति हेक्टयर सल्फर डस्ट या घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करने तथा घुलनशील उर्वरक के स्प्रे से भी पाले के असर को नियंत्रित किया जा सकता है। किसान सुबह-सुबह एक लंबी रस्सी पकडकर इस तरह चलें कि रस्सी की रगड से पौधे हिल जाए और पौधों पर जमी बर्फ या ओस की बूंदे झड़कर गिर जाए ऐसा करने से भी कुछ हद तक पाले के नुकसान से बचाव किया जा सकता है।