Friday , July 5 2024
Breaking News

एसईसीएल में पहली बार मियावाकी विधि से होगा वृक्षारोपण

बिलासपुर

छत्तीसगढ़ के कोयलांचल में हरित आवरण को बढ़ावा देने के लिए एसईसीएल एक नयी पहल करने जा रही है। एसईसीएल अपने संचालन क्षेत्रों में पहली बार जापानी पद्धति मियावाकी की मदद से वृक्षारोपण करने जा रही है। कंपनी एसईसीएल के गेवरा क्षेत्र में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर 2 हेक्टेयर क्षेत्र में जंगल विकसित करने के लिए लोकप्रिय जापानी तकनीक मियावाकी का उपयोग करेगी। यह परियोजना लगभग 4 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के साथ साझेदारी में लागू की जाएगी।

मियावाकी तकनीक का उपयोग करके वृक्षारोपण 2 वर्षों की अवधि में किया जाएगा जिसमें लगभग 20,000 पौधे लगाए जाएंगे। वृक्षारोपण में बड़े पेड़ जैसे बरगद, पीपल, आम, जामुन आदि, मध्यम आकार के वृक्ष जैसे बेल, करंज, आंवला, अशोक आदि एवं छोटे पेड़ जैसे कनेर, गुड़हल, त्रिकोमा, बेर, अंजीर, निम्बू आदि शामिल होंगे। वृक्षारोपण की मियावाकी पद्धति की शुरूआत 70 के दशक में जापानी वनस्पतिशास्त्री और पादप पारिस्थितिकी (प्लांट इकोलॉजी) विशेषज्ञ श्री अकीरा मियावाकी ने की थी। वृक्षारोपण की इस तकनीक में प्रत्येक वर्ग मीटर के भीतर देशी पेड़, झाडि?ाँ और ग्राउंडकवर पौधे लगाए जाते हैं। यह कम जगह में तेजी से घने जंगल को विकसित करने के लिए एक आदर्श विधि है।
मियावाकी वृक्षारोपण के लिए चुनी गई प्रजातियाँ आम तौर पर ऐसे पौधों की होती हैं जिन्हें बहुत अधिक रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती है और वे विषम मौसम परिस्थितियों एवं कम पानी में भी पनप सकते हैं जिससे कम समय में एक घना जंगल विकसित करने में मदद मिलती है।

हरित आवरण से स्थानीय समुदायों और वन्यजीवों को होगा लाभ
एसईसीएल में मियावाकी वृक्षारोपण की पायलट परियोजना से कम समय में देश की सबसे बड़ी कोयला खदान गेवरा खदान के आसपास हरित आवरण बढ़ाने में मदद मिलेगी। फलदार, एवेन्यू और सजावटी पेड़ों की स्वदेशी प्रजातियों से बना जंगल स्थानीय समुदायों और वन्यजीवों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा। परियोजना के तहत विकसित जंगल धूल के कणों को सोखने में एवं सतह के तापमान को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

एसईसीएल अगले 4 वर्षों में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में वृक्षारोपण पर 169 करोड़ रुपये का निवेश करेगा
भारत की अग्रणी कोयला कंपनियों में से एक होने के अलावा, एसईसीएल अपनी खदानों के आसपास हरित आवरण को बढ़ावा देने एवं पर्यावरण को संरक्षित करने और कोयला खनन के प्रभावों को कम करने की दिशा में लगातार काम कर रही है। अपनी स्थापना के बाद से अब तक एसईसीएल 3 करोड़ से अधिक पौधे लगा चुका है। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने 475 हेक्टेयर क्षेत्र में हरित आवरण का विकास किया है तथा 10.77 लाख पौधे लगाए हैं, जो कोल इंडिया की सभी सहायक कंपनियों में सबसे अधिक है। कंपनी ने हाल ही में 2023-24 से 2027-28 तक पांच साल की अवधि के लिए 169 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर वृक्षारोपण और इसके बाद 4 वर्षों के रखरखाव के लिए छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम (सीजीआरवीवीएन) और मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम (एमपीआरवीवीएन) के साथ समझौता किया है।

About rishi pandit

Check Also

ढिल्लन व अरविंद सिंह 6 जुलाई तक ईडी की रिमांड पर

रायपुर  2161 करोड़ के शराब घोटाले में एक बड़ी कार्रवाई के तहत ईडी ने दो …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *