Madhya pradesh jabalpur high court refused to interfere in the recruitment process of psc 2019: digi desk/BHN/जबलपुर/मप्र हाई कोर्ट ने पीएससी-2019 की भर्ती प्रक्रिया में दखल देने से इनकार कर दिया। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने आपे आदेश में साफ किया कि नियुक्ति प्रक्रिया जारी है, ऐसे में हस्तक्षेप उचित नहीं होगा। अलबत्ता, अपात्र व कम रैकिंग वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति को चुनौती देने की स्वतंत्रता कायम रहेगी।
यह दी गई दलील
याचिकाकर्ता श्योपुर निवासी शिखा सिंघल व अतुल तिवारी की ओर से अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पीएससी परीक्षा 2019 में नियुक्ति के लिए सरकार द्वारा 87:13 का फार्मूला लागू किया गया है। ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने की वैधानिकता को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। इसलिए 13-13 प्रतिशत के दो अलग-अलग वर्ग के व्यक्तियों को नियुक्यिां प्रदान की जाएंगी। न्यायालय का फैसला जिस वर्ग के पक्ष में आता है नियुक्तियां उस वर्ग को प्रदान की जाएंगी। आवेदकों की ओर से कहा गया कि उक्त फार्मूला पीएससी 2019 की प्रारंभिक परीक्षा से लागू किया गया है। हाई कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि प्रारंभिक परीक्षा सिर्फ अभ्यार्थियों को शार्ट लिस्ट करने आयोजित की जाती है। इस फार्मूले को मुख्य परीक्षा से लागू किया जाना चाहिये था।
याचिका में यह कहा गया
याचिका में कहा गया है कि पीएससी-2019 के साक्षात्कार की प्रकिया नौ अगस्त से प्रारंभ हो गई है। युगलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। किसी को नियुक्ति प्रदान नहीं की गयी है। किसी अपात्र तथा कम रैकिंग वाले व्यक्ति की नियुक्ति को चुनौती देने के लिए भविष्य में याचिकाकर्ता स्वतंत्र होंगे। वर्तमान परिस्थितियों में याचिका हस्तक्षेप आयोग्य है।
सुप्रीम काेर्ट में देंगे चुनौती
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने बताया कि पूरी नियुक्ति प्रकिया दूषित है। लिहाजा, चयन सूची भी दोषी होगी। उक्त आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका के जरिये चुनौती दी जाएगी।