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पीएम मोदी बोले, MSP बंद होने से बड़ा झूठ कोई नहीं, पढ़िए संबोधन की बड़ी बातें

PM Modi Address to MP farmers,digi desk/BHN/ दिल्ली में जारी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों से रूबरू हो रहे हैं। पीएम ने कहा, ‘भारत ने बीते 5-6 वर्षों में जो ये आधुनिक व्यवस्था बनाई है, उसकी आज पूरी दुनिया में चर्चा है। आज इस कार्यक्रम में भंडारण-कोल्ड स्टोरेज से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी हुआ है। ये बात सही है कि किसान कितनी भी मेहनत कर ले, लेकिन फल-सब्जियां-अनाज का अगर सही भंडारण न हो, सही तरीके से न हो, तो उसका बहुत बड़ा नुकसान होता है।’

MSP पर पीएम मोदी ने कहा: मैं देश के प्रत्येक किसान को ये विश्वास दिलाता हूं कि पहले जैसे MSP दी जाती थी, वैसे ही दी जाती रहेगी, MSP न बंद होगी, न समाप्त होगी। मैं विश्वास से कहता हूं कि हमने हाल में जो कृषि सुधार किए हैं, उसमें अविश्वास का कारण ही नहीं है, झूठ के लिए कोई जगह ही नहीं है। अगर हमें MSP हटानी ही होती तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू ही क्यों करते? दूसरा ये कि हमारी सरकार MSP को लेकर इतनी गंभीर है कि हर बार, बुवाई से पहले MSP की घोषणा करती है। इससे किसान को भी आसानी होती है, उन्हें भी पहले पता चल जाता है कि इस फसल पर इतनी MSP मिलने वाली है। महीने से ज्यादा का समय हो गया है, जब ये कानून लागू किए गए थे। कानून बनने के बाद भी वैसे ही MSP की घोषणा की गई, जैसे पहले की जाती थी। कोरोना महामारी से लड़ाई के दौरान भी ये काम पहले की तरह किया गया। MSP पर खरीद भी उन्हीं मंडियों में हुई, जिन में पहले होती थी।

‘मैं देश के व्यापारी जगत, उद्योग जगत से आग्रह करूंगा कि भंडारण की आधुनिक व्यवस्थाएं बनाने में, कोल्ड स्टोरेज बनाने में, फूड प्रोसेसिंग के नए उपक्रम लगाने में अपना योगदान, अपना निवेश और बढ़ाएं। ये सच्चे अर्थ में किसान की सेवा करना होगा, देश की सेवा करना होगा।’

पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

  • भारत की कृषि, भारत का किसान, अब और पिछड़ेपन में नहीं रह सकता। दुनिया के बड़े-बड़े देशों के किसानों को जो आधुनिक सुविधा उपलब्ध है, वो सुविधा भारत के भी किसानों को मिले, इसमें अब और देर नहीं की जा सकती। तेजी से बदलते हुए वैश्विक परिदृष्य में भारत का किसान, सुविधाओं के अभाव में, आधुनिक तौर तरीकों के अभाव में असहाय होता जाए, ये स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती। पहले ही बहुत देर हो चुकी है। जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वो अब हो रहे हैं।
  • पिछले 6 साल में हमारी सरकार ने किसानों की एक-एक जरूरत को ध्यान में रखते हुए काम किया है। बीते कई दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है। ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए। पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है।
  • कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है। देश के किसान, किसानों के संगठन, कृषि एक्सपर्ट, कृषि अर्थशास्त्री, कृषि वैज्ञानिक, हमारे यहां के प्रोग्रेसिव किसान भी लगातार कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं। सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणापत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं। सिर्फ इन मांगों को टालते रहे।
  • और देश का किसान, इंतजार ही करता रहा। अगर आज देश के सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, उनके पुराने बयान सुने जाएं, पहले जो देश की कृषि व्यवस्था संभाल रहे थे उनकी चिट्ठियां देखीं जाएं, तो आज जो कृषि सुधार हुए हैं, वो उनसे अलग नहीं हैं।
  • रायसेन में हो रहे इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान 35.50 लाख किसानों के खातों में अतिवृष्टि और कीट व्याधि से हुए खरीफ फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए 1,600 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता जमा की गई।
  • किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट। रिपोर्ट आई, लेकिन ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को आठ साल तक दबाकर बैठे रहे। किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला।
  • इन लोगों ने ये सुनिश्चित किया कि इनकी सरकार को किसान पर ज्यादा खर्च न करना पड़े। इनके लिए किसान देश की शान नहीं, इन्होंने अपनी राजनीति बढ़ाने के लिए किसान का इस्तेमाल किया है। जबकि किसानों के लिए समर्पित हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है। हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट बाहर निकाला और उसकी सिफारिशें लागू कीं, किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया।
  • हर चुनाव से पहले ये लोग कर्जमाफी की बात करते हैं। और कर्जमाफी कितनी होती है? सारे किसान इससे कवर हो जाते है क्या? जो छोटा किसान बैंक नहीं गया, जिसने कर्ज नहीं लिया, उसके बारे में क्या कभी एक बार भी सोचा है इन लोगों ने। जितने पैसे ये भेजने की बात करते रहे हैं, उतने पैसे किसानों तक कभी पहुंचते ही नहीं हैं। किसान सोचता था कि अब तो पूरा कर्ज माफ होगा। और बदले में उसे मिलता था बैंकों का नोटिस और गिरफ्तारी का वॉरंट।कर्जमाफी का सबसे बड़ा लाभ किसे मिलता था? इन लोगों के करीबियों को।
  • हमारी सरकार ने जो पीएम-किसान योजना शुरू की है, उसमें हर साल किसानों को लगभग 75 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे। यानि 10 साल में लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपए। किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर। कोई लीकेज नहीं, किसी को कोई कमीशन नहीं। याद करिए, 7-8 साल पहले यूरिया का क्या हाल था?
  • रात-रात भर किसानों को यूरिया के लिए कतारों में खड़े रहना पड़ता था या नहीं? कई स्थानों पर, यूरिया के लिए किसानों पर लाठीचार्ज की खबरें आती थीं या नहीं? यूरिया की जमकर कालाबाजारी होती थी या नहीं।
  • आज यूरिया की किल्लत की खबरें नहीं आतीं, यूरिया के लिए किसानों को लाठी नहीं खानी पड़तीं। हमने किसानों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया।
  • हमने कालाबाजारी रोकी, सख्त कदम उठाए, भ्रष्टाचार पर नकेल कसी। हमने सुनिश्चित किया कि यूरिया किसान के खेत में ही जाए।

 

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