सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ अमरपाटन तहसील में पदस्थ रहे एक पूर्व पटवारी को रिटायरमेंट के 15 वर्ष बाद जेल जाना पड़ा। सेवानिवृत्त पटवारी को एक सरकारी जमीन के फर्जीवाड़े में अदालत ने 3 साल कैद और 2 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अमरपाटन राघवेंद्र सिंह चौहान ने अमरपाटन तहसील अंतर्गत कोटरा हलका के पटवारी रहे 75 वर्षीय नर्मदा प्रसाद चतुर्वेदी पिता भगवानदास चतुर्वेदी निवासी खमरिया को आईपीसी की धारा 467 एवं 218 के तहत दोषी करार दिया है। अदालत ने सेवानिवृत्त पटवारी नर्मदा प्रसाद को 3 वर्ष के कारावास और 2 हजार रुपए जुर्माने की सजा से दंडित किया है। प्रकरण में शासन की तरफ से अतिरिक्त अपर लोक अभियोजक पंकज कुमार पटेल ने पक्ष रखा।
जीपी कार्यालय के प्रवक्ता उमेश कुमार शर्मा ने बताया कि यह प्रकरण कोटरा हलका की 4 एकड़ 24 डिसिमिल शासकीय आराजी को निजी स्वत्व में दर्ज किए जाने का है। कोटरा हलका की आराजी नंबर 176 रकबा 4 एकड़ 24 डिसिमिल वर्ष 2005-06 में मप्र शासन के स्वामित्व में शासकीय राजस्व अभिलेखों में दर्ज थी। उस वक्त कोटरा हलका में नर्मदा प्रसाद चतुर्वेदी पटवारी पदस्थ थे।
पटवारी ने शासकीय अभिलेखों में सफेदा लगा कर यह आराजी ग्राम जुड़मनिया के राजकुमार सिंह पिता रुद्र प्रताप सिंह के नाम दर्ज कर दी। इसकी शिकायत मिलने पर नायब तहसीलदार वृत्त मौहारी ने जांच की थी। नायब तहसीलदार की जांच रिपोर्ट के आधार पर अमरपाटन थाना पुलिस को सितंबर 2009 में पटवारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के लिए लिखा गया था। पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 एवं 218 के तहत प्रकरण दर्ज कर विवेचना की थी और चार्ज शीट अदालत में पेश की थी। इस बीच नर्मदा प्रसाद शासकीय सेवा से रिटायर हो चुके थे।