Rajgarh dhirendra krishna shastri pandit dhirendra krishna shastri told the leaders like rainy frogs: digi desk/BHN/राजगढ़/ बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने राजगढ़ के खिलचीपुर में गुरुवार को हनुमंत कथा के दौरान नेताओं पर भी कई तंज कसे।
उन्होंने कहा कि नेताजी भी बरसाती मेंढक होते हैं। उन्हें पता होता है कि ऐसा बोलने से ही वोट मिलेंगे। पहले गांव की लड़ाई पंचायत में निपट जाती थी। अब वे पंचायत नहीं होने देते, क्योंकि फिर उनकी बात कैसे रहेगी। हमारा विरोध भी लोग इसीलिए करते हैं कि अगर सबने बाबा की बात मान ली तो फिर मुद्दा क्या बचेगा? लेकिन हमें तो मरना ही है।
उन्होंने कहा कि हम कहते हैं कि तुम एक धीरेंद्र कृष्ण को मिटाओगे, तब तक हम हर घर में धीरेंद्र कृष्ण खड़े कर देंगे। इसलिए संकल्प लेकर जाओ कि जातिवाद नहीं चलने देंगे। एक व्यक्ति की लड़ाई को जाति की लड़ाई नहीं बनने देंगे।शास्त्री ने कहा कि सबसे ज्यादा खतरनाक समय आने वाला है चुनाव। सबसे ज्यादा जहर तो इसी में उगला जाता है। नेताजी बनना भी कोई कठिन बात थोड़े है। 250 रुपये का पायजामा, 200 रुपये का कुर्ता, 40 रुपये का चश्मा और फेसबुक पर पोस्ट तैयार, और नेताजी भी तैयार। गाड़ी या तो खुद की होती है या फिर अरेंज कर लेते हैं। कहते हैं कि हम समाज की लड़ाई लड़ेंगे, चाहे प्राण भी दे दें। अरे, वह किसी की लड़ाई नहीं लड़ रहे व खुद का घर बनने का काम करते हैं। बताओ, समाज जरूरी है कि राष्ट्र? यदि राष्ट्र नहीं रहेगा तो समाज क्या करेगा?
जालपा माता के दर्शन कर समोस खाए व चाय पी, 50 रुपये दिए
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बुधवार को सिद्धपीठ जालपा माता के दरबार में पहुंचकर उनके दर्शन किए व पूजन-अर्चना की। वह पहली बार ही सिद्धपीठ जालपा माता के दरबार में पहुंचे थे। उन्होंने समीप में हनुमानजी के भी दर्शन किए।
वह जब खिलचीपुर जाने लगे तो मंदिर की घाटी से नीचे उतरने के दौरान उन्हें एक चाय-नाश्ते की दुकान नजर आई। उन्होंने गाड़ी रुकवाई और होटल संचालक से चाय ली। इसके बाद उन्होंने होटल संचालक से चार समोसे लिए। चार समोसे व चाय के एवज में उन्होंने 50 रुपये होटल संचालक को प्रदान किए। एक समोसा गाड़ी में बैठकर ही खाया व चाय पी।पहले दिन की कथा के दौरान 26 जून को उन्होंने खिलचीपुर के समाेसा का जिक्र किया था। कहा था कि जब मैं होटल से आ रहा था तो यहां के लोग चटखारे लेते हुए समोसे खाते देखे गए। खाना भी चाहिए, अच्छा है। यहां के लोगों की भक्ति अजब है।