सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ केंद्रीय जेल सतना में अनुदेशक के साथ हुई मारपीट के मामले में अदालत ने संज्ञान लेते हुए डिप्टी जेलर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। मामले में जेल उपाधीक्षक समेत 3 लोगों के खिलाफ प्रस्तुत परिवाद को खारिज कर दिया है।
न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी शक्ति वर्मा ने केंद्रीय जेल सतना में पदस्थ डिप्टी जेलर अभिमन्यु पांडेय के खिलाफ बुनाई अनुदेशक नवनीत सिंह ठाकुर के साथ हुई मारपीट के मामले में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। अनुदेशक नवनीत सिंह ठाकुर की पत्नी सविता ठाकुर की तरफ से प्रस्तुत परिवाद पर सुनवाई करते हुए अदालत ने डिप्टी जेलर के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 एवं 34 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। इसी मामले में सेंट्रल जेल के उपाधीक्षक रामकृष्ण चौरे एवं मुख्य प्रहरी रामनारायण शुक्ला एवं वीरेंद्र दुबे के विरुद्ध भी आरोप लगाए गए थे, किंतु साक्ष्य के अभाव में अदालत ने उनके विरुद्ध परिवाद खारिज कर दिया है।
परिवाद के अनुसार केंद्रीय जेल में बुनाई अनुदेशक के तौर पर पदस्थ नवनीत सिंह ठाकुर की पत्नी सविता ठाकुर निवासी नई बस्ती सतना ने अदालत को बताया था कि विगत 7 जुलाई 2021 को जेल में उनके पति के साथ मारपीट की गई है। डिप्टी जेलर अभिमन्यु पांडेय ने नवनीत से बिना रिकार्ड में दर्ज किए बुनाई केंद्र में तैयार किया गया कपड़ा मांगा था। नवनीत ने उनसे ऑन रिकार्ड कपड़ा लेने के लिए कहा था लेकिन इस बात पर डिप्टी जेलर नाराज हो गए थे। इसी दौरान उन्होंने एक हाथ ट्रॉली नट बोल्ट लगाने के लिए भेजी थी जिसे बनाकर भेज भी दिया गया था। किंतु डिप्टी जेलर ने इसके बाद भी पूरे नट बोल्ट मंगवा लिए, जबकि उन्हें बताया गया था कि ट्राली बना कर भेज दी गई है। इन्ही बातों को लेकर नवनीत के साथ मारपीट की गई जिसमें नवनीत बेहोश हो गए। बाद में डॉक्टर से बीपी बढ़ने की वजह लिखवा कर रिपोर्ट बनवा ली गई। नवनीत को जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था जहां से 9 जुलाई को उन्हें डिस्चार्ज किया गया। डिस्चार्ज टिकट में भी गले और कंधे पर मारपीट के निशान होने का जिक्र किया गया था।
मारपीट की सूचना जेल कर्मचारियों ने दी थी: सविता
सविता ठाकुर ने अदालत को बताया कि पति के साथ मारपीट की सूचना जेल कर्मचारियों ने दी थी। घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था जिसके बाद उसके पति को अस्पताल ले जाया गया था। घटना की शिकायत कोलगवां थाना एवं एसपी सतना से भी की गई थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन अदालत में परिवाद पेश किया गया। अदालत में विचारण के दौरान जेल उपाधीक्षक रामकृष्ण चौरे, मुख्य प्रहरी रामनारायण शुक्ला और वीरेंद्र दुबे के खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं हुए। लिहाजा उनके विरुद्ध परिवाद निरस्त कर दिया गया, जबकि डिप्टी जेलर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया।