रीवा, भास्कर हिंदी न्यूज़/ जिले के त्योंथर तहसील में यादव परिवार के पांच सदस्य मस्कुलर डिस्ट्राफी नाम की अजीब बीमारी से जूझ रहे हैं। उक्त विषय की जानकारी जैसे ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लगी तो उन्होंने पीड़ित परिवार से न केवल बात की बल्कि इसकी जानकारी भी दी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उनकी उसरगांव निवासी मनीष यादव ने बात की और बताया कि उनका परिवार मस्कुलर डिस्ट्राफी से पीड़ित है।
मुख्यमंत्री ने चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने तथा हरसंभव सहयोग के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये। कहा कि बेटा मनीष, आपको और आपके परिवार को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। मैं और पूरी मध्यप्रदेश सरकार आपके परिवार के साथ खड़ी है। आपको और परिवार के सभी सदस्यों को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। आप सभी स्वस्थ जीवन का आनंद लें, यही मेरी शुभकामनाएं हैं। मुख्यमंत्री से बात करने के बाद परिवार को अच्छा लगने लगा है कि उनका इलाज हो जाएगा।
बच्चों में इस बीमारी के शुरुआती लक्षण साल 2006 में दिखाई देने लगे थे, जिसके बाद बच्चों को उनके स्वजन दिल्ली एम्स लेकर गए। एम्स के डाक्टर्स ने रिसर्च पेपर तैयार कर अमेरिका भेजा। रिपोर्ट आने के बाद जर्मनी और यूएई में ही इलाज मिलने की सलाह दी। पीड़ित परिवार त्योंथर जनपद के उसरगांव का रहने वाला है। परिवार में 9 लोग हैं, इनमें से 5 मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की चपेट में हैं। स्टेम सेल थेरेपी के जरिए इस बीमारी का इलाज कुछ हद तक संभव है, लेकिन इसका खर्च बहुत महंगा है। एक लाख रु. का एक इंजेक्शन पड़ता है। ऐसे 20 इंजेक्शन मरीज को लगाए जाते हैं। जांच और दूसरे चार्जेस का खर्च भी अलग से आता है। एक पीड़ित के इलाज में करीब 30 लाख रुपए का खर्च होने का अनुमान है।
क्या है मस्कुलर डिस्ट्राफी
श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर मनोज इंदुलकर बताते हैं कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान कमजोर पड़ने लगता है। मसल्स सिकुड़ने लग जाती हैं और बाद में यह टूटने लगती हैं। डॉक्टर इंदुलकर के अनुसार यह एक तरह का आनुवंशिक रोग है। रोगी में लगातार कमजोरी आती है और उसकी मांसपेशियों का विकास रुक जाता है। यह बीमारी सबसे पहले कूल्हे के आसपास की मांसपेशियों और पैर की पिंडलियों को कमजोर करती है। उम्र बढ़ते ही यह कमर और बाजू की मांसपेशियों को भी प्रभावित करना शुरू कर देती है।
उसरगांव का यादव परिवार पीड़ित
उसरगांव में रामनरेश यादव उम्र60 वर्ष के पांच बेटे और दो बेटियां है। सबसे बड़ी बेटी सुशीला यादव उम्र 38 वर्षऔर दूसरे नंबर की रीतू यादव उम्र 36 वर्ष है। इसके बाद भाइयों में सबसे बड़े सुरेश यादव उम्र 35 वर्ष, महेश यादव उम्र 28वर्ष, अनीश यादव उम्र 25 वर्ष,मनीष यादव उम्र 23 वर्ष एवं मनोज यादव उम्र 20 वर्ष।हैं।रामनरेश और उनकी बेटी सुशीला में उक्त रोग के बहुत मामूली लक्षण थे।सन 1998 से 2003 के बीच अनीश, मनीष और मनोज का जन्म हुआ। जैसे ही 8 से 10 साल की उम्र में पहुंचे, वैसे ही इनका शरीर सूखने लगा। स्कूल आना-जाना जारी रहा। बीमारी पर बच्चों के स्वजन ने गौर किया। वे 2006 में दिल्ली लेकर गए। वहां मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी का नाम सामने आया। परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। ऐसे में घर लौटकर आ गए। बच्चों की उम्र बढ़ती गई। सोशल मीडिया का दौर आया। समय-समय इंटरनेट मीडिया के जरिए अपनी पीड़ा सुनाते रहे।
एम्स में हुई थी जांच
एसडीएम पीके पांडेय ने बताया कि गत 2006 में अनीश यादव, मनीष यादव और मनोज यादव को रिश्तेदार दिल्ली एम्स लेकर गए। वहां पहली बार मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी का खुलासा हुआ। गत 2019 तत्कालीन में संभागायुक्त अशोक भार्गव ने रीवा मेडिकल कॉलेज में जांच कराई। दूसरी बार अनजान बीमारी सामने आई। बता दे कि राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता विवेक तन्खा को पूरा मामला पता चला। तब उन्होंने तीनों बच्चों को दिल्ली स्थित अपने बंगले में बुलाया। दिल्ली एम्स में जांच कराई गई। तब यूएई और जर्मनी में इलाज की बात सामने आई। गत 25 मार्च को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने त्योंथर एसडीएम पीके पाण्डेय के मोबाइल पर पीड़ित परिवार से बात की। दो मिनट तक मुख्यमंत्री ने मनीष यादव से बात की। कहा कि आप सभी का इलाज कराया जाएगा।