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Satna: बालश्रम प्रथा का उन्मूलन कर बच्चों का भविष्य सुरक्षित करें-कलेक्टर

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कहा कि बालश्रम प्रथा एक अभिशाप है, जिससे बच्चों का भविष्य निश्चित तौर पर नष्ट होता है। बालश्रम उन्मूलन के संबंध में केन्द्र और राज्य शासन ने सख्त नियम और प्रावधान बनाये हैं। आवश्यकता है कि इन नियमों, प्रावधानों का अनुपालन कर बालश्रम प्रथा का उन्मूलन कर बच्चों का भविष्य सुरक्षित बनाये। कलेक्टर शुक्रवार को सतना में आयोजित बालश्रम प्रथा उन्मूलन की जागरूकता और क्षमता निर्माण संबंधी संभागीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता, उप श्रमायुक्त एस एस दीक्षित, न्यायाधाीश श्रम न्यायालय, यूनीशेफ के अमरजीत सिंह, संचालक प्रशिक्षण अर्चना सहाय, जिला कार्यक्रम अधिकारी सौरभ सिंह, बालश्रम अधिकारी अमर सिंह के अलावा संभाग के जिलों के बाल कल्याण समिति अध्यक्ष, सदस्य एवं श्रम विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
कार्यशाला का शुभारंभ करते हुये कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कहा कि बालश्रम प्रथा के संबंध में राज्य सरकार अत्यंत संवेदनशील है और इसके उन्मूलन के लिए कठोर नियम और प्रावधान भी बनाये गये हैं। वर्तमान परिस्थितियों में बालश्रम अब आमतौर पर कही दिखाई नहीं देता। श्रम विभाग, महिला बाल विकास के अमले के अलावा अनेक सामाजिक और स्वैच्छिक संगठन बालश्रम उन्मूलन में काम कर रहे थे। फिर भी यदि कहीं बालश्रम दिखाई देता है तो हम सब का प्रयास होना चाहिए कि नियम कानूनों, प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही कर बालश्रम प्रथा के जड. मूल से उन्मूलन करने का प्रयास करे। पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं, बालश्रम बालकों के भविष्य को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि बालश्रम के संबंध में आज की परिस्थितियाँ बदली हुई है। काफी बेहतर प्रयास हुए है। पुलिस अधीक्षक ने कार्यशाला के प्रतिभागियों को कहा कि यहाँ से प्रशिक्षण लेकर आये और शासन का प्रतिनिधित्व और समाज सेवा के कर्तव्यों के अधीन बालश्रम प्रथा के उन्मूलन में अपना योगदान दें। ताकि आपके कार्यों से बच्चों और देश का भविष्य उज्जवल रहे।
श्रम न्यायालय के विधिक अधिकारी ने कहा कि बाल मन और तन अत्यंत कोमल और संवेदनशील होता है। परिस्थितियों के कारण उन्हें परिवार के सदस्यों के भरण-पोषण के लिए श्रम करना पड.ता है। उन्होंने कहा कि बालश्रम के कारणों को जानकर उनका निदान करे तो बालश्रम उन्मूलन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार और कारखाना अधिनियम जैसे कानूनों से भी बालश्रम में कमी आई है। कार्यशाला में बाल एवं किशोर श्रम से जुड.े हुए कानून एवं नियमों का प्रजेन्टेशन से प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला में कलेक्टर श्री वर्मा ने बालश्रम उन्मूलन पर आधारित कलेण्डर का विमोचन भी किया।

कार्यशाला में दी गई उपभोक्ता के अधिकार और संरक्षण की जानकारी

कलेक्टर अनुराग वर्मा के निर्देशन में शुक्रवार को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा कलेक्टेªट में आयोजित उपभोक्ता संरक्षण कार्यशाला में उपभोक्ताओं को उनके अधिकार और संरक्षण के बारे में जानकारी दी गई।
अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिशंकर शुक्ला ने बताया कि उपभोक्ताओं को 6 प्रकार के अधिकार प्रदान किये गये हैं। जिनमें सुरक्षा का अधिकार चयन करने का अधिकार, सूचना प्राप्त करने का अधिकार, क्षतिपूर्ति प्राप्त करने अधिकार, सुने जाने का अधिकार और उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार शामिल हैं। उन्होंने बताया कि एक करोड. रूपये की क्षतिपूर्ति तक जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की जा सकती है। एक करोड. से 10 करोड. तक के मामले राज्य उपभोक्ता आयोग और 10 करोड. से अधिक के मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। उपभोक्ता आयोग में आनलाईन शिकायतों का पंजीयन ई-दाखिल एप्लीकेशन ऐप या वेवसाइट पर किया जा सकता है।
एरिया मैनेजर रेल्वे रोहित सिंह ने बताया कि देश में रेल्वे लगभग 3 करोड. यात्रियों का प्रतिदिन लाना ले जाना करता है। रेल्वे के हर प्रेाडक्ट पर सामग्री रेट फिक्स किये हे। इनमें ज्यादा की खरीद पर रेल्वे को शिकायत की जा सकती है। उन्होंने कहा कि रेल्वे से संबंधित शिकायतों, समस्याओं के लिए अनेक मंच पर शिकायत की जा सकती है। बहुधा लोगों को जानकारी नहीं होने और जागरूकता के अभाव में शिकायतें कम होती है। उन्होंने कहा कि रेल्वे इन्क्वायरी के 139 नम्बर पर भी समस्याओं का निराकरण प्राप्त किया जा सकता है। रेल्वे यात्रियों को टी टी आर या क्लेम करने पर किसी यात्री गाड.ी के निर्धारित समय से 3 घंटे लेट होने पर टिकट का पूरा पैसा वापस करती है। उन्होंने बताया कि रेल्वे के शिकायत सुनने के प्लेटफार्म चौबीसों घंटे, सातों दिन अनवरत खुले रहते हैं। कर्यशाला में जीवन बीमा निगम, सामान्य बीमा, जीएसटी खाद्य सुरक्षा नाप-तौल निरीक्षक, डाकसेवा, टेलीफोन सेवा के अधिकारियों ने भी अपने उपभोक्ताओं के अधिकतर और उनके संरक्षण के प्रावधानों की जानकारी दी।

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