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Satna: माहू कीट के प्रकोप से गेहूं एवं जौ की फसल के बचाव के उपाय


सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ जिले में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों एवं किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण के दौरान गेहूं एवं जौ की फसल में जड़ एवं पत्तियों पर माहू कीट का प्रकोप देखा गया है। यह कीट फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है। किसान कीट की शुरुआती अवस्था में पहचान नहीं कर पाते हैं। जब तक किसानों इसकी जानकारी लगती है तब तक यह कीट फसल को काफी नुकसान पहुंचा चुका होता है।

कैसे करें इस कीट की पहचान

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने बताया कि एफीड यानि माहू हल्के हरे, पीले, भूरे या काले रंग के बहुत ही छोटे कीड़े होते हैं। रूट एफीड कीट गेहूं एवं जौ की फसलों की मिट्टी के अंदर वाले तने एवं जड़ वाले भाग को नुकसान पहुंचाता है। यह कीट झुंड में रहता है और जड़ों का रस चूसता रहता है। वही पत्ती माहू, पत्तियों का रस चूसता है। दोनों ही कीट प्रभावित फसल में चिपचिपा मीठा तरल पदार्थ छोड़ देते है। जिससे कभी कभी फसल में चीटियों का प्रकोप भी देखने को मिलता है। तापक्रम बढ़ने से फसल पर इस कीट का प्रकोप बढ़ जाता है। यह कीट फसल को 15-20 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा सकता है।
फसल पर इस कीट का प्रकोप बड़ी तेजी से फैलता है। फसल पर इस कीट का प्रकोप अधिक होने पर इस कीट को नियंत्रित करना अक्सर मुश्किल हो जाता है। कीट का अधिक प्रकोप होने पर फसल की पत्तियां पीली पड़ कर सूखने लगती हैं एवं विकृत हो जाती हैं। आमतौर पर नीचे की पत्तियां पहले पीली पड़ती हैं और ऐसे पौधों को उखाड़कर देखने पर रूट एफीड (माहू) झुंड में आसानी से जड़ों एवं पत्तियों के अंदर चिपकते हुए देखा जा सकता है।

कैसे करे इस कीट का नियंत्रण

फसल पर कीट का जैविक नियंत्रण के लिए 5 किलो नीम की पत्तियों की चटनी एवं 5 किलो नीमबोली का चूर्ण पतले कपड़े में पोटली बनाकर 5 लीटर गोमूत्र में 48 घंटों के लिए रखें। 48 घंटे बाद पोटली को गोमूत्र में अच्छी तरह से निचोड़ दें। अब इस तैयार घोल की आधा लीटर मात्रा प्रति टंकी की दर से छिड़काव करें। कीट के रासायनिक दवा से नियंत्रण के लिए थायोमेथोजाम 75 प्रतिशत (कैपकाड़िस या शटर या नीओ सुपर) 50 से 60 ग्राम मात्रा 15-20 किलो यूरिया या 10 किलो रेत के साथ मिलाकर फसल में बुरकाव करें। पत्तियों में माहू दिखे तो फसल में फलोनिकामिड 50 प्रतिशत दवा की 8 ग्राम मात्रा प्रति टंकी या एसीटामीपरिड 20 प्रतिशत दवा की 15 ग्राम मात्रा प्रति टंकी की दर से छिड़काव करें।

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