Saturday , May 18 2024
Breaking News

Saphala Ekadashi : सोमवार को है साल 2022 की आखिरी एकादशी, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Saphala Ekadashi 2022 Muhurat:  digi desk/BHN/नई दिल्ली/ हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो एकादशी तिथि आती हैं। इस प्रकार से एक वर्ष में 24 एकादशी तिथि होती हैं और सभी एकादशियों का अलग-अलग महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति प्रत्येक एकादशी का व्रत नियम और श्रद्धा के साथ करता है, उसे इस संसार में सुखों की प्राप्ति होती है। एकादशी के समान पापनाशक अन्य कोई व्रत नहीं है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार इस समय मार्गशीर्ष यानी अगहन माह चल रहा है। इसके बाद पौष माह आता है और इस माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस बार सफला एकादशी 19 दिसंबर को पड़ रही है। ये साल 2022 की आखिरी एकादशी होगी। तो चलिए जानते हैं सफला एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में…   

सफला एकादशी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, इस साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 19 दिसंबर 2022 को प्रातः काल 03 बजकर 32 मिनट पर शुरू होकर 20 दिसंबर 2022 सुबह 02 बजकर 32 मिनट कर रहेगी। उदया तिथि को देखते हुए इस साल सफला एकादशी का व्रत 19 दिसंबर 2022, दिन सोमवार को रखा जाएगा। 

एकादशी व्रत के पारण का समय 
सफला एकादशी का व्रत रखने वाले लोग 20 दिसंबर 2022 को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक पारण कर सकते हैं। 

सफला एकादशी का महत्व 
शास्त्रों के अनुसार, सफला एकादशी के दिन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है, उसे मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है।

एकादशी व्रत में इन नियमों का रखें ध्यान

  • जो लोग एकादशी का व्रत नहीं करते हैं, उन्हें इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • एकादशी तिथि को पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि जागरण करते हुए श्री हरि विष्णु का स्मरण करना चाहिए।
  • एकादशी व्रत को कभी हरि वासर समाप्त होने से पहले पारण नहीं करना चाहिए।
  • इसी तरह से द्वादशी समाप्त होने से पहले ही एकादशी व्रत का पारण कर लेना चाहिए।
  • शास्त्रों में द्वादशी समाप्त होने के बाद व्रत का पारण करना पाप के समान माना जाता है।
  • यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो रही हो तो इस स्थिति में सूर्योदय को बाद व्रत का पारण किया जा सकता है।
  • द्वादशी तिथि के दिन प्रातः पूजन व ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए।

About rishi pandit

Check Also

मृत्यु के बाद सावधानियाँ: गरुड़ पुराण के अनुसार सामग्रियों का संचय करना

जो व्यक्ति आया है उसे एक दिन जाना है, इस बात से सभी वंचित हैं. …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *