मध्यस्थता के माध्यम से विवादों का निराकरण संबंधी बैठक
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रमेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मध्यस्थता के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण एवं छोटे-छोटे विवादों को आपस में सुलझाया जाकर समय व धन का सही दिशा में उपयोग किया जा सकता है। उन्होने बैठक में उपस्थित न्यायाधीशों, प्रशिक्षित मध्यस्थों एवं अधिवक्ताओं से कहा कि मध्यस्थता जागरूकता शिविर का मुख्य उद्देश्य लोगों को विधिक रूप से जागरूक करना तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा मिलने वाली सुविधाओं से अवगत कराना है। प्रधान जिला न्यायाधीश श्री श्रीवास्तव शनिवार को एडीआर भवन में मध्यस्थता के माध्यम से विवादों के निराकरण संबंधी बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस मौके पर न्यायाधीश अनुराग द्विवेदी, यतेन्द्र कुमार गुरु, शिल्पा तिवारी, सिद्धार्थ तिवारी, इंदुकांत तिवारी, प्रवीण सिन्हा, योगीराज पांडेय सहित न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रशिक्षित मध्यस्थ एवं अधिवक्तागण उपस्थित रहें।
बैठक में प्रधान जिला न्यायाधीश ने मध्यस्थता से होने वाले लाभ के बारें में जानकारी देते हुए कहा कि मध्यस्थता से विवाद का अविलम्ब व शीघ्र समाधान, समय तथा खर्चों की किफायत, न्यायालय प्रक्रिया से राहत, अत्यधिक सरल व सुविधाजनक प्रकिया, विवाद का हमेशा के लिए प्रभावी एवं सर्वमान्य समाधान, समाधान पक्षों की सहमति को महत्व, अनौपचारिक, निजी, तथा पूर्णतः गोपनीय प्रक्रिया, सामाजिक सद्भाव कायम रखने में सहायक, मध्यस्थ वाले मामले में कोई अपील या संशोधन नहीं होता, विवाद का अंतिम रूप से निपटारा हो जाता है। मध्यस्थता में विवाद निपटाने पर, (कोर्ट फीस एक्ट-1870)वादी कोर्ट फीस एक्ट 1870 की धारा 16 के तहत पूरा न्यायालय शुल्क वापिस लेने का हकदार होता है।
प्रधान जिला न्यायाधीश ने बताया कि ऐसे सिविल मामले जिसके विवाद का मूल्य एक करोड़ रुपये तक हो तथा राजीनामा योग्य आपराधिक प्रकरण का निराकरण जिले में प्रतिमाह के अंतिम शनिवार को आयोजित होने वाली स्थाई एवं निरंतर लोक अदालत में करवाया जा सकता है। जिससे न्यायालयों में मामलों की संख्या में कमी तो आएगी साथ ही संबंधित पक्षकारों को भी तुरंत न्याय मिलने से उनके समय और धन की भी बचत होती है। उन्होने अधिवक्ता सदस्यों से यह आहवान् किया है कि वे मध्यस्थता प्रकिया, लोकोपयोगी सेवाओं की स्थाई लोक अदालत तथा स्थाई एवं निरंतर लोक अदालत के फायदों को अधिक से अधिक पक्षकारों के मध्य जागरूकता फैलाकर उन्हें उपरोक्त सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करें।