सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ जैसा कि सर्व विदित है कि दिव्यांग जनों के लिए समर्पित संस्था ‘सक्षम’ दिव्यांगता पर कई वर्षो से कार्य करती आ रही है,हमारे सतना शहर में अब क्लब फुट पीड़ित शिशुओं के लिए पोन्सेटि टेक्नोलॉजी आ चुकी है। शनिवार को ‘सक्षम’ टीम के सदस्य जिला अस्पताल के सतना क्लब फुट क्लिनिक पहुचे और प्रभारी डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव से मुलाकात की। डॉ. श्रीवास्तव द्वारा बताया गया कि नवजात शिशुओं में क्लब फुट बहुत कॉमन विकृति है जिसमें बच्चे के पैर जन्म से ही अंदर की ओर मुड़े होते हैं। यह जन्म दोष एक या दोनों पैरों को प्रभावित कर सकता है। जल्दी उपचार से इसे सही करने में मदद मिलती है। डॉक्टर आमतौर पर बिना सर्जरी के क्लब फुट का इलाज कर सकते हैं, हालांकि कभी-कभी बच्चों को सर्जरी की आवश्यकता होती है। क्लब फुट क्यों होता है, इसका सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, किन्तु कुछ प्रतिष्ठित अनुसंधानों के अनुसार यह स्थिति किसी एक जीन संचरण के कारण नहीं अपितु कुछ आनुवंशिक ,पर्यावरणीय व कुपोषण कारकों की परस्पर जटिल क्रिया के कारण होती है। डॉ इग्नेसियो वी. पोन्सेटि (चिकित्सक जिन्हे आर्थोपेडिक्स के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए पहचाना जाता है) के नाम पर रखी गयी पोंसेटि तकनीक दुनिया भर में क्लबफुट के इलाज के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है। इस तकनीक में एक समयावधि में इस विकृति को ठीक करने के लिए स्ट्रेचिंग और कास्टिंग के संयोजन का उपयोग किया जाता है।
इस तकनीक में, बच्चे के पैर को धीरे से स्ट्रेच किया जाता है और उसे सही स्थिति में जोड़ दिया जाता है और इसे एक कास्ट (आमतौर पर पैर की उंगलियों से जांघ तक) की मदद से सही करने का प्रयास किया जाता है। यह प्रक्रिया हर सप्ताह दोहराई जाती है जब तक वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हो जाते हैं। इसमें 6-8 सप्ताह या उससे अधिक समय भी लग सकता है। यह टेक्नोलॉजी आज वरदान साबित हो रही है। ‘सक्षम’ टीम के अध्यक्ष राजेश बड़ेरिया को डॉ. श्रीवास्तव द्वारा जानकारी दी गई कि यह CTEV (Congenital talipes equinovarus) की बीमारी है जो कि नवजात बच्चों में पायी जाती हैं, जिसमे बच्चों के पैरों में टेड़ापन रहता है और जिसके कारण आगे वही बच्चे पूरी तरह से चलने में सक्षम नही होते थे व समाज मे दिव्यांग की श्रेणी में आ जाते थे।
डॉक्टर प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया कि अब ऐसा नही होगा, हमारे पास रशियन टेक्नोलॉजी आ चुकी है और हम इस पर 150 से ज्यादा बच्चों का उपचार कर चुके है और इस उपचार में 2 से 3 महीने में बिना ऑपरेशन किये 90% बच्चों को ठीक किया जा सकता है, कुछ बच्चे 2 साल से बड़े हो जाने के कारण एक दो छोटे ऑपरेशन करने पड़ते है पर वो भी पूरी तरह स्वस्थ हो जाते है। ‘सक्षम’ की सचिव श्रीमती मंजरी सिंह ने सतना क्लब फुट क्लीनिक की काउंसलर राखी पांडेय से चर्चा कर यह जानकारी दी कि राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम (RBSK) के हर ब्लॉक में 2 टीम होती है, जो ऐसे बच्चों की स्क्रीनिंग कर के सतना क्लब फुट क्लीनिक भेजती है और जहां उनका इलाज किया जाता है।
डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव, काउंसलर राखी पांडेय एवं उनकी सहयोगी रचना और उमा इसी पुनीत कार्य मे अपनी सेवा दे रहे है। ‘सक्षम’ टीम को सतना में ही नही संपूर्ण भारत में इस पुनीत कार्य को आगे बढ़ाने मे उम्मीद की किरण नजर आने लगी है। ‘सक्षम’ टीम के प्रांत सचिव जाग्रत कपूर, अध्यक्ष राजेश बड़ेरिया, सचिव मंजरी सिंह, कोषाध्यक्ष अनिल मोटवानी, आशीष मोंगिया, तरुण चमड़िया जिला अस्पताल पहुचे और पूरी टीम ने चर्चा के बाद इस टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने हेतु जागरुकता कार्यक्रम करने और शहरो से लेकर गांवों तक कैम्प लगा कर इसका लाभ घर- घर पहुचाने का निर्णय लिया।