QR Code On Medicine: digi desk/BHN/ नई दिल्ली/ देश में जल्द ही मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन दवाएं खरीदने के दौरान उनकी पहचान करना और सही कीमत जानना आसान हो जाएगा। दवा नियामक प्राधिकरण यानी DPA (Drug Pricing Authority) ने 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने की तैयारी कर ली है। इन दवाओं का सेलेक्शन मार्केट रिसर्च के मुताबिक, इनके सालभर के टर्नओवर पर किया गया है। इनकी लिस्ट भी स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गई है, ताकि इन्हें क्यूआर कोड के तहत लाने के लिए नियम-कानून में जरूरी बदलाव किए जा सकें। हाल ही में सरकार ने दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (Active Pharmaceutical Ingredient-APIs) पर क्यूआर कोड (QR Code) लगाना अनिवार्य कर दिया था। उसी कड़ी में ये फैसला लिया गया है।
किन दवाओं में होगा QR Code?
इस सूची में दर्द निवारक, विटामिन सप्लीमेंट, ब्लड प्रेशर, शुगर और गर्भनिरोधक दवाएं आदि आम जरुरत की दवाएं शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसमें डोलो (Dolo), सैरिडॉन (Saridon), फैबीफ्लू(Fabiflu), इकोस्पिरिन (Ecosprin), लिम्सी (Limcee), सुमो (Sumo), कैलपोल (Calpol), कॉरेक्स सीरप (Corex syrup), अनवांटेड 72 (Unwanted 72) और थाइरोनॉर्म (Thyronorm) जैसे बड़े ब्रांड शामिल हैं। ये सभी दवाएं काफी बिकती हैं और आम बीमारियों जैसे बुखार, सिरदर्द, वायरल, विटामिन डेफिसिएंसी, खांसी, थाइरॉइड आदि से जुडड़ी समस्याओं में धड़ल्ले से इस्तेमाल की जाती हैं।
क्या होगा फायदा
- क्यूआर कोड लगने से दवाओं की कीमतों और बिक्री में पारदर्शिता आएगी।
- साथ ही असली और नकली दवाओं की पहचान करना आसान हो जाएगा।
- इससे दवाओं की कालाबाजारी पर भी लगाम लगेगी।
- ड्रग्स की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग के लिए भी सिंगल क्यूआर कोड सिस्टम अधिक सुविधाजनक है।
- एपीआई में क्यूआर कोड लगाने से यह पता लगाना भी संभव होगा कि क्या दवा बनाने में फार्मूले से कोई छेड़छाड़ तो नहीं हुई है। साथ ही कच्चा माल कहां से आया और यह उत्पाद कहां जा रहा है?
- अगर ये उपाय कामयाब रहा, तो इसे बाकी सभी दवाओं पर लागू किया जाएगा, ताकि छोटे-मोटे दुकानदार या फार्मास्यूटिकल्स अपने मुनाफे के लिए कीमत या केमिकल फॉर्मूले में बदलाव ना कर सकें।