- मप्र में अंगदानियों को राजकीय सम्मान देने की तैयारी
- स्वतंत्रता दिवस पर स्वजन को सम्मानित किया जाएगा
- तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्र में पहले से गार्ड ऑफ ऑनर
भोपाल। दुनिया से जाने के पहले अंगदान देकर लोगों को नया जीवन देने वाले अंगदानियों को राजकीय सम्मान (गार्ड ऑफ ऑनर) दिया जाएगा। ब्रेन डेथ रोगियों से अंगदान को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर पर यह प्रयोग शुरू करने की तैयारी है।
चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है। शासन से स्वीकृति के बाद इसे सितंबर से लागू करने की तैयारी है। दु:ख की घड़ी में भी स्वजन को गर्व का अनुभव हो, इसलिए यह व्यवस्था की जा रही है। इसके साथ ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर अंगदानियों के स्वजन को सम्मानित किया जाएगा।
अंगदान के क्षेत्र में मप्र में उल्लेखनीय कार्य
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने गत दिनों मप्र को अंगदान के क्षेत्र में तेजी से उभरते राज्य का पुरस्कार दिया है। राज्य में अब तक 60 ब्रेन स्टेम डेथ रोगियों का अंगदान हो चुका है।
दक्षिण भारतीय राज्यों में जागरूकता
तमिलनाडु सरकार ने वर्ष 2023, ओडिशा सरकार ने फरवरी 2024 व आंध्र प्रदेश ने इसी माह से राजकीय सम्मान देने का निर्णय लिया है। दक्षिण के राज्यों में अंगदान को लेकर अच्छी जागरूकता है। देश में ब्रेन डेथ रोगियों के अंगदान सबसे अधिक इन्हीं राज्यों में होते हैं।
मप्र में ब्रेन डेथ रोगियों का (कैडेवरिक) अंगदान इंदौर में प्रारंभ किया गया था। इसके बाद भोपाल में अंगदान प्रारंभ हुआ। दोनों शहरों में लिवर, किडनी, पैंक्रियाज (अग्नाशय), फेफड़ा और कार्निया निकालने और जरूरतमंद को लगाने की सुविधा कुछ बड़े अस्पतालों में है।
हृदय प्रत्यारोपण के लिए कई बार रोगी नहीं मिलते तो देश के दूसरे बड़े अस्पतालों से डॉक्टरों की टीम हार्ट ले जाकर ट्रांसप्लांट कर चुकी है। बता दें कि ब्रेन डेथ में ब्रेन काम करना बंद कर देता है, पर बाकी अंग कुछ देर तक काम काम करते रहते हैं। इसी दौरान उन्हें निकालकर रोगी को लगाया जाता है।