Gyanvapi Case Today: digi desk/BHN/ नई दिल्ली/ ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में बुधवार को वकीलों की हड़ताल के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। हालांकि हिंदू पक्षकारों ने बार काउंसिल से अपील की थी कि वे नियमित सुनवाई में मदद करे। इस बीच, बड़ी खबर यह है कि ज्ञानवापी मस्जिद केस में अब काशी विश्वनाथ ट्रस्ट का बयान भी आ गया है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष नागेंद्र पांडे ने कहा है कि बाबा विश्वेश्वर की मूर्ति मिल गई तो ‘वजुखाना’ कैसे हो सकता है, अब ऐसा नहीं हो सकता। हमारी मांग है कि जब तक फैसला नहीं आ जाता, तब तक शिवलिंग काशी विश्वनाथ न्यास को सौंप दिया जाए।
बहरहाल, आज सुनवाई नहीं हो सकी, जिसमें कोर्ट के सामने तहखानों में रखे मलबे व कमरानुमा संरचना की दीवार हटा कर सर्वे और सील किए गए वजूखाने में मौजूद मछलियों को सुरक्षित स्थानांतरित करने की मांग जैसे सवाल थे। इससे पहले एडवोकेट कमिश्नर को कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अदालत ने दो दिन और समय दिया है। मंगलवार को सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर ने विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह की अपील पर सुनवाई करते हुए यह मोहलत दी। वहीं, पदीय दायित्वों को ठीक से न निभाने पर एडवोकेट कमिश्नर के पद से अजय कुमार मिश्र को हटा दिया गया। अब रिपोर्ट प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह को दी गई है।
वीडीए के ड्राफ्टमैन तैयार कर रहे हैं नक्शा
एडवोकेट कमिश्नर की ओर से ज्ञानवापी परिसर में की गई कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अदालत ने 17 मई की तारीख तय की थी। रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाने का हवाला देते हुए स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने मंगलवार को प्रार्थना पत्र देकर अदालत से दो दिन की मोहलत मांगी। उन्होंने बताया कि 14 मई से 16 मई की सुबह दस बजकर दस मिनट तक कार्यवाही की गई। इस दौरान श्रृंगार गौरी व मस्जिद का सर्वे किया गया। परिसर बड़ा है और सभी बिंदुओं पर ध्यान देना है, ऐसे में रिपोर्ट तैयार करने में वक्त लग सकता है। उन्होंने अदालत को बताया कि पूरे परिसर का मानचित्र तैयार करने की जिम्मेदारी वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के दो ड्राफ्टमैन को दी गई है। उनकी ओर से मानचित्र प्राप्त नहीं हुआ है। यह रिपोर्ट का अहम हिस्सा है। इसे स्वीकार करते हुए अदालत ने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो दिन की मोहलत दी।
अजय मिश्र पर असहयोग का आरोप
सुनवाई के दौरान ही विशाल सिंह ने आरोप लगाया कि अजय कुमार मिश्र और अजय प्रताप सिंह ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान पूरी तरह से सहयोग नहीं किया। अजय कुमार मिश्र रुचि नहीं ले रहे थे। इसलिए अदालत यह स्पष्ट करे कि रिपोर्ट कौन दाखिल करेगा? मस्जिद पक्ष के वकील अभयनाथ यादव ने भी आरोप लगाया कि एडवोकेट कमिश्नर के साथ आए फोटोग्राफर आरपी सिंह ने कार्यवाही की जानकारी मीडिया और पब्लिक तक पहुंचाई, जबकि अदालत ने किसी भी तरह का बयान देने के लिए सबको मना किया था। इसे गंभीरता से लेते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र को उनके पद से हटा दिया। समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार हटाए जाने पर अजय मिश्र ने कहा, “जिस फोटोग्राफर मैंने रखा था, उसने मुझे धोखा दिया। इसमें मैं क्या कर सकता हूं।”