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Satna: इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग के लिए अलग से विद्युत कनेक्शन लेना अनिवार्य

अनधिकृत बिजली का उपयोग कर वाहन चार्जिंग करने पर होगी कार्यवाही

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं को इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने के लिए अब अलग से बिजली कनेक्शन लेना अनिवार्य होगा। इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं द्वारा घरेलू, कृषि अथवा अन्य प्रयोजन से लिये गये बिजली कनेक्शन का उपयोग वाहन चार्ज करने पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 की उपधारा 2 के तहत ई-रिक्शा/वाहन एवं संबंधित उपकरणों को जब्त कर सख्त कार्यवाही की जाएगी।

प्रमुख सचिव ऊर्जा श्री संजय दुबे ने कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोग करने वालों को विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दरों पर पृथक मीटर के माध्यम से ही विद्युत का उपयोग करना होगा। वाहनों के चार्जिंग के लिए उपयुक्त श्रेणी में त्वरित कनेक्शन दिये जाएंगे।ऐसे व्यक्ति जो मीटर को बायपास कर या विद्युत चोरी कर अपना इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करते पाए जाते हैं तो ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत वाहनों के चार्जिंग के लिए बिजली की पृथक से दरें निर्धारित की गई हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं एवं राज्य शासन की समस्त औपचारिकताएँ पूर्ण करने के बाद स्थापित किए जाने वाले विद्युत वाहन चार्जिंग स्टेशनों को पृथक से विद्युत कनेक्शन लेना अब अनिवार्य कर दिया गया है।

जगतगुरू शंकराचार्य की जन्मजयंती पखवाड़े का हुआ समापन

आदिगुरू शंकराचार्य विश्व के सर्वाच्च दार्शनिक – श्रीश्री रामललाचार्य महराज

जगत गुरू शंकराचार्य के जन्म जयंती पखवाड़े के अन्तर्गत म.प्र. जन अभियान परिषद द्वारा अमरपाटन के मानस पीठ खजुरी ताल में शनिवार को आयोजित एकात्म पर्व व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुये रामललाचार्य महाराज ने कहा कि राष्ट्रीय गौरव का परिचय सनातन संततियों को मिलता रहे, महापुरूषों का जीवन चरित्र हमारे लिये प्रेरणा बनें उनके जीवन और व्यक्तित्व से हम परिचत होकर उत्कर्ष की विचारधारा के अनुरूप अपनें कृतित्वों का नियोजन करनें में सक्षम बन पायें। जिससे राष्ट्र के वैभव को उच्चतम शिखर पर स्थापित किया जा सके। आदि गुरू शंकराचार्य नें सम्पूर्ण सृष्टि की व्यापकता को समझ कर जगत के प्रत्येक जीव के उत्कर्ष के लिये वेदांगों की रचना कर सम्पूर्ण मानव को व्यापक दिशा दिखाई।
शंकराचार्य विश्व के सर्वोच्च दार्शनिक मानें गये है। उन्होनें इस ब्रम्ह वाक्य को प्रचारित किया कि आत्मा की गति मोक्ष में है अर्थात् ब्रम्ह ही सत्य है और जगत मिथ्या और माया है। अद्वैत वेदांत और उपनिषदों के ही प्रमुख सूत्रों के आधार पर अन्य दार्शनिकों नें अपनें उपदेश दिये। उन्हीं का विस्तार आगे चलकर माध्यमिका एवं विज्ञानवाद के रूप में हुआ। आदिगुरू नें केदारनाथ से कामाख्या तक और सोमनाथ से रामेश्वरम तक सभी मंदिरों के जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आदिगुरू शंकराचार्य नें केदारनाथ मंदिर के पीछे अपनी समाधि लेकर देह का त्याग कर दिया। जिसका उल्लेख गुरूरत्न मालिका में मिलता है।
रामललाचार्य महाराज ने कार्यक्रम के अंत में कहा कि सभी समाजिक कार्यकर्ताओं से आदिगुरू शंकराचार्य के बनाये रास्ते का अनुसरण करते हुये सभी वर्गो और समाजों के साथ पूर्ण एकात्मता से अपने सनातन धर्म और देश के सुरक्षा और विकास के लिये संकल्पवान होना चाहिये, तभी कल्याणकारी राज्य की नींव को हम मजबूत कर पायेगे। इस अवसर पर जिला समन्वयक डॉ. राजेश तिवारी, विकासखण्ड समन्वयक अरूण प्रताप सिंह, अमरपाटन और रामनगर विकासखण्ड के विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, प्रस्फुटन समितियों के पदाधिकारी और बी.एस.डब्ल्यू के छात्र उपस्थित रहे।

 

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