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Satna: आचार्य शंकर ने भारत को एकात्मत कर जगत का दिगदर्शन कराया- महंत मदन गोपाल दास

  • आदिगुरु शंकराचार्य अल्प आयु में ही भगवान कृष्ण के बाद दूसरे जगतगुरू बनें – कुलपति भरत मिश्रा
  • जन अभियान परिषद की वैचारिक कार्यशाला चित्रकूट में संपन्न

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद सतना के द्वारा आदिगुरु शंकराचार्य की जयंती के उपलक्ष में ‘एकात्म पर्व’ आचार्य शंकर जीवन व दर्शन ‘वैचारिक प्रबोधन’ कार्यक्रम सोमवार को महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट के सी.एम.सी.एल.डी.पी. सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट डॉ. भरत मिश्रा द्वारा की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कामता नाथ मंदिर के महंत श्री मदन गोपाल दास महाराज उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप डीन डॉ नन्दलाल मिश्रा, डॉ अंजनेय पाण्डेय, डॉ अमरजीत सिंह एवं जिला समन्वयक डॉ राजेश तिवारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं आदि गुरू शंकराचार्य जी के साथ महात्मा गांधी व नाना जी देशमुख की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर किया गया।

वैचारिक प्रबोधन में विस्तार से आदि गुरु शंकराचार्य जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए महंत मदन गोपाल दास महाराज ने कहा कि आदि शंकराचार्य की विद्वता के कारण ही कहा जाता है कि उनकी जिह्वा पर माता सरस्वती का वास था। यही कारण है कि उन्होंने 32 वर्ष के संपूर्ण जीवनकाल में ही आदि शंकराचार्य ने अनेक महान धर्म ग्रंथ रच दिये। जो उनकी अलौकिक प्रतिभा को साबित करते हैं। भारत में चार मठों की स्थापना करने वाले जगद्गुरु आदि शंकराचार्य की जयंती आज पूरा सनातन धर्म मना रहा है। देशभर में धर्म और आध्यात्म के प्रसार के लिए 4 दिशाओं में चार मठों की स्थापना की गई। जिनका नाम है, ओडिशा का गोवर्धन मठ, कर्नाटक का शरदा श्रृंगेरी पीठ, गुजरात का द्वारका पीठ और उत्तराखंड का ज्योतिपीठ/जोशीमठ आदि शंकराचार्य ने इन चारों मठों में सबसे योग्यतम शिष्यों को मठाधीश बनाने की परंपरा शुरू की थी जो आज भी प्रचलित है।

कार्यशाला में उपस्थित स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधिगणों आचार्या प्रबुद्धजनों एवं छात्रों को सम्बोधित करते हुये कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने कहा कि आचार्य शंकर ने सत्य की खोज में जीवन सर्वत्र समाज को एक सूत्र से जोडता है जिससे समाज को एक नई दिशा मिलती है। जिससे सम्पूर्ण भारत विभिन्नताओं के बाद भी एकात्मता की अनुभूति करता है यही हमारी सर्वाच्च सांस्कृतिक धरोहर एवं उच्च आदर्श हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में अधिष्ठाता डाँ. नन्दलाल मिश्रा डाँ. अमरजीत सिंह डॉ.जय शंकर मिश्रा डाँ. अजय आर चौरे डाँ.नीलम चौरे एवं जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक डॉ. राजेश तिवारी उपस्थित रहे।

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