World Press Freedom Day 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ हर साल 3 मई को दुनिया भर में वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे मनाया जाता है। वर्ष 2022 की थीम (Journalism Under Digital Siege) है। वह इसकी मेजबानी पुंटा डेल एस्टे, उरुग्वे करेगा। संयुक्त राष्ट्र की महासाभा ने 3 मई 1993 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का ऐलान किया था, ताकि प्रेस की आजादी के महत्व से दुनिया को आगाह कराया जाए। इसका मकसद सरकारों को याद दिलाना है कि अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकारी की रक्षा और सम्मान करना इसका कर्तव्य है। लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और बहाल करने में मीडिया की अहम भूमिका होती है। सरकारों को पत्रकारों की सेफ्टी सुनिश्चित करनी चाहिए।
पहली बार कब मनाया गया
1991 में दक्षिण अफ्रीका के पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए पहल की थी। उन्होंने 3 मई को प्रेस की स्वतंत्रता के सिद्धांतों से संबंधित एक बयान जारी किया था। जिसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक के नाम से जाना जाता है। 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे का आयोजन किया। तब से हर साल 3 मई को यह दिन मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है
दुनिया भर के कई देश मीडिया और पत्रकारों पर अत्याचार करते हैं। प्रेस और जर्नलिस्ट अगर सरकार की मर्जी से नहीं चलते हैं। तब उनको प्रताड़ित किया जाता है। मीडिया संगठनों पर कई तरह का दबाव बनाया जाता है। उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर करने की कोशिश की जाती है। जैसे उनपर जुर्माना लगाना, इनकम टैक्स का छापा, विज्ञापन बंद करना आदि। संपादकों और पत्रकारों को जान से मारने की धमकी दी जाती है। उनके साथ मारपीट तक की जाती है। यह चीजें अभिव्यक्ति की आजादी के रास्ते में बड़ी बाधा है। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए दुनिया भर में प्रेस की आजादी का दिन मनाया जाता है। लोगों को बताया जाता है कि कैसे मीडिया की स्वतंत्रता छीनी जा रही है। साथ ही सरकार को जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित किया जाता है।