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जानिए नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर से जुड़ी इस बीमारी के बारे में

National Epilepsy Day: नई दिल्ली/ एपिलेप्सी या मिरगी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज को असमय झटके आते हैं या फिर कुछ समय के लिए उसकी चेतना चली जाती है। ऐसी परिस्थिति मस्तिष्क में असंतुलित इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के कारण होता है। आमतौर पर मिरगी की बीमारी बचपन में होती है और समय पर इलाज न हो तो इसके लक्षण बार-बार दिखाई देने लगते हैं। वहीं कुछ बुजुर्गों में भी मिरगी के लक्षण दिखाई देते हैं। मिरगी के झटके अगर ज्यादा आते हैं या कभी-कभार, यह इस बात से तय करता है कि असामान्य इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी से मस्तिष्क का कितना हिस्सा प्रभावित है। हालांकि अब मिरगी रोग पर काफी कुछ शोध किया जा चुका है और दवाओं के जरिए इसे नियंत्रित भी किया जा सकता है।

जीन के प्रभाव के कारण होता है मिरगी रोग

हालांकि अभी भी 10 में से 6 व्यक्तियों में मिरगी के कारणों की खोज संभव नहीं होती है, हालांकि यह जीन का प्रभाव के कारण होता है। मस्तिष्क से जुड़ी किसी भी बीमारी या मस्तिष्क को किसी भी तरह की क्षति की स्थिति में बार-बार मिरगी के दौरे भी आने लगते हैं। जिन लोगों को मिरगी की शिकायत है उनमें नींद की कमी या ठीक समय पर भोजन नहीं करने से भी दौरे बढ़ सकते हैं। इसके अलावा जो लोग शराब का अधिक सेवन करते हैं उन्हें भी मिरगी के दौरे आने की शिकायत बढ़ सकती है।

ज्यादा भयभीत होने की आवश्यकता नहीं, ये कदम उठाएं

  • – उन चीजों से बचें जिनके कारण आपको पिछली बार दौरा आया था। जैसे लाइट की तेज चमक या कम्प्यूटर स्क्रीन पर ज्यादा देर बैठना।
  • – खुद को सहज रखने का अभ्यास करें क्योंकि तनाव के कारण भी मिरगी का दौरा आ सकता है।
  • – नियमित अंतराल में कुछ न कुछ खाते रहें। खाना कभी भी न छोड़ें।
  •  अल्कोहल के सेवन से पूरी तरह बचने की कोशिश करें।
  • – किसी भी तरह दवाई लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें।
  • – जब भी स्विमिंग या ड्राइविंग करें तो ध्यान रहे कि आपके साथ कोई हो।
  • – आपकी नौकरी का स्वभाव अपने डॉक्टर को जरूर बताएं ताकि वे बचाव बता सकें।
  •  अगर संतान के बारे में सोच रहे हैं तो पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

जब भी मरीज को दौरा पड़े तो यह गलती न करें

  • – मिरगी प्रभावित व्यक्ति को दौरा आने पर उसे रोकने की कोशिश न करें अन्यथा चोटिल कर सकता है।
  • – दौरा आने पर खाने या पीने के लिए कुछ नहीं दें। एक घूंट पानी भी गले में अटक सकता है।
  •  -दौरा आने पर मुंह में कुछ भी रखने से बचना चाहिए।
  • – दौरे के बाद व्यक्ति कुछ देर के लिए अचेत हो सकता है, मगर ऐसे में उसे कार्डियो पल्मोनरी रेस्पिरेशन की कोशिश कभी न करें।

रोग का निदान

मिरगी के 3 में से 1 मरीज को एक झटका आने के बाद 2 वर्ष के अंतराल में कभी आता है। तुरंत दौरा आने की आशंका पहले सप्ताह में ज्यादा होती है। हालांकि ज्यादातर मरीजों में इसका निदान संभव है। अनुमान है कि 10 में से 7 लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें 10 वर्ष में कभी दौरा पलटकर नहीं आता। मिरगी का इलाज किया जा सकता है और इसके लिए प्रभावित व्यक्ति को डॉक्टर के पास ले जाना ही सबसे उपयुक्त है। घरेलू पद्धतियों से मिरगी का इलाज करना खतरनाक हो सकता है। जिस किसी व्यक्ति को एक ही बार दौरा आया है, उसे किसी भी तरह के इलाज की जरूरत नहीं है।

मिरगी रोगी को डायबिटीज है तो ज्यादा सावधानी रखें

अगर मिरगी से प्रभावित व्यक्ति को जो अन्य बीमारियां हैं, उनका इलाज बहुत जरूरी हो जाता है जैसे कि अगर डायबिटीज है तो उस पर कडी नजर रखना जरूरी है। डॉक्टर शरीर में आने वाली ऐंठन को रोकने वाली दवा के साथ इलाज शुरू करते हैं। अगर दौरे नियंत्रण में नहीं आते हैं तो दवा का डोज बढ़ाया जाता है या दूसरी दवा की मदद भी ली जाती है। तब दवा की मात्रा के लिए नियमित रूप से ब्लड टेस्ट करवाने होते हैं। अगर किसी को 2-3 वर्षों तक दौरा नहीं आता है तो दवा बंद कर दी जाती है या कम कर दी जाती है। दवा में किसी भी तरह का बदलाव डॉक्टर के परामर्श से ही करें। जो लोग 2 वर्ष की अवधि को लंबा मानकर बीच में दवा लेना बंद कर देते हैं उन्हें कभी भी दौरा आ सकता है। कई बार इसमें सर्जरी की भी जरूरत होती है।

मिरगी रोग से जुड़े ये मिथक भी जरूर जान लें

मिथक : मरीज मानसिक रूप से विक्षिप्त है।

तथ्य : मिर्गी तंत्रिका कोशिकाओं के कुछ समय असामान्य प्रक्रियाओं का होने वाला विकार है। अन्यथा व्यक्ति मानसिक रूप से पूर्णत: सामान्य होता है।

मिथक : सभी मिर्गी में झटके आते हैं।

तथ्य– यह आवश्यक नहीं है। कुछ प्रकार की मिर्गी में मरीज टकटकी लगाकर देखता रहता है।

मिथक : मिर्गी आनुवंशिक बीमारी है।

तथ्य– यह हमेशा सत्य नहीं होता। दिमागी बुखार, ब्रेन ट्यूमर, सिर की चोट, शराब की लत भी इसका कारण हो सकती है।

मिथक : मिर्गी दूसरों पर निर्भरता बढ़ाती है।

तथ्य– मिर्गी के लोग उचित व्यवहार व सावधानियों के साथ एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

मिथक : मिर्गी दौरे के समय मरीज को कसकर पकड लेना चाहिए।

तथ्य– दौरे के समय ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए, मरीज को करवट दिलवाकर आसपास की सभी वस्तुएं हटा देना चाहिए।

मिथक : मिर्गी का मरीज शादी नहीं कर सकता है।

तथ्य– यह गलत धारणा है। उचित उपचार के साथ मरीज सामान्य जीवन यापन कर सकता है।

मिथक : मिर्गी से पीड़ित महिला गर्भवती नहीं हो सकती।

तथ्य– मिर्गी या इसकी दवाएं प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करती और वह बच्चों को जन्म दे सकती है।

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