डॉ. रूपेश गर्ग
(शिशु रोग विशेषज्ञ)
World Prematurity Day:satna/ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हर साल 17 नवंबर को वर्ल्ड प्रीमैच्योरिटी डे (World Prematuriy Day) मनाया जाता है। इसका उद्देश्य समय से पहले जन्मे शिशुओं की उचित देखभाल के प्रति लोगों को जागरूक करना है। अभिभावकों को समय पूर्व जन्मे बच्चों को देखभाल करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, उसी के मद्देनजर लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। ऐसे बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।
2011 से हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत
वर्ल्ड प्रीमैच्योरिटी डे सबसे पहले 17 नवंबर 2011 को मनाया गया था। उसके बाद से इसे नियमित रूप से मनाया जाता है। प्रिमैच्योर जन्म या समय से पहले बच्चे का जन्म तब माना जाता है जब बच्चा प्रेग्नेंसी के 37 हफ्ते पूरे होने से पहले ही पैदा हो जाता है। बच्चा जितना ज्यादा समय गर्भ में रहता है, उसके शरीर का विकास उतना ही ज्यादा हो पाता है।
दुनिया में हर साल लगभग 1.5 करोड़ बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 35 लाख बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं। प्रीमैच्योर बच्चे को अपरिपक्व फेफड़ों और मस्तिष्क की वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है। सांस लेने की प्रक्रिया में लंबे विराम को ऐपनिया कहते हैं, जो अपरिपक्व दिमाग के कारण होता है। ऐसे बच्चों को अपना आहार प्राप्त करने में परेशानी होती है। प्रीटर्म बेबी को कई दिनों तक हॉस्पिटल में डॉक्टरों की खास निगरानी में Neonantal Intensive Care Unit (NICU) में रखा जाता है। घर आने के बाद भी ऐसे बच्चों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
प्रीमैच्योर बच्चों को ऐसे रखें ध्यान
इस तकनीक में मां लंबे समय तक बच्चे को अपनी छाती से लगाकर रखती है। इससे मां और बच्चे की बॉन्डिंग अच्छी होती है।
निश्चित तापमान रखें
बच्चे को आरामदायक तापमान पर रखा जाना चाहिए। उसको जरूरत के मुताबिक चादर से ढंकते रहें। डिजिटल थर्मामीटर लेकर बच्चे का तापमान 97.6 से 99.1 के बीच बनाए रखें। कमरे का तापमान भी निर्धारित क्रमानुसार ही रखें।
बार-बार लगेगी भूख
प्रीटर्म बच्चे को भूख भी जल्दी-जल्दी लगती है। इसके मद्देनजर उसे समय-समय पर फीड कराते रहें। कमरे में रोशनी कम रखना चाहिए ताकि बच्चा आसानी से सो सके।
नहाने के समय ध्यान रखने वाली बातें
बच्चे को गुगगुने पानी से नहलाना चाहिए, लेकिन उसका सिर नॉर्मल पानी से धोएं। जब तक बच्चा 2.5 किलो का नहीं हो जाता, उसे स्पॉन्ज से साफ करें। बच्चा जब तक 1 महीने का नहीं हो जाता तब तक उसे कोई लोशन या तेल नहीं लगाए।
इन्फेक्शन से बचाएं
प्रीमैच्योर बच्चे को इन्फेक्शन का खतरा सबसे ज्यादा होता है, इसलिए ऐसे बच्चों को भीड़-भाड़ वाले स्थान पर न ले जाएं। बीमार व्यक्ति को उससे दूर रखें। हाथ सैनिटाइज करवाने के बाद ही किसी को भी बच्चे को छूने की अनुमति दें।