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Rewa: नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, भागवत कथा में मनाया श्री कृष्ण जन्मोत्सव

प्राणों की रक्षा के लिए बोले हुए झूठ को भी माफ करते हैं भगवान

 

रीवा,भास्कर हिंदी न्यूज़/   सेमरिया क्षेत्र स्थित बसामनमामा की धरा धाम समीपस्थ पुरवा गांव निवासी स्वर्गीय दिलभरण त्रिपाठी पंडा बाबा की स्मृति में संगीतमय सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा चल रही है। कथावाचक राष्ट्रीय प्रवक्ता सत्यांशु जी महाराज श्री धाम माधव आश्रम वृंदावन धाम द्वारा सुंदर कथा का बखान किया जा रहा है। सोमवार को कृष्ण जन्म की कथा उन्होंने विस्तार पूर्वक सुनाई व कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। जैसे ही कंस की जेल में कृष्ण ने जन्म लिया, सारा पांडाल जयकारों से गूंज उठा। कथावाचक ने जेल में जन्म लियो प्रभुजी थाने, जेल में जन्म लियो भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु झूमने लगे। कृष्ण जन्म पर पुष्प वर्षा की गई और थाली बजा आतिशबाजी की गई।

इससे पहले कथावाचक ने कहा कि दानवेंद्र राजा बलि ने भगवान को अपना द्वारपाल बनाकर रखा तो लक्ष्मी ने राजा बलि को भाई बनाया। उसके राज्य में चारों ओर धन दौलत, सुख,समृद्धि का साम्राज्य व्याप्त हो गया। इसी प्रकार यदि हम नारायण की सेवा में रहते हुए न्याय सत्य व सदमार्ग पर चलेंगे तो यह निश्चय मानिए कि हमारा घर.परिवार भी फलेगा फूलेगा। घर में हमेशा सुख शांति और लक्ष्मी का बास होगा। कथा में गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मन्थन, भागीरथ की ओर से धरती पर गंगा अवतरण व राम कथा के कुछ प्रसंग सुनाए। स्वामी जी ने कहा कि इस प्रकार भगवान को प्राप्त करने के लिए जीव योनि का कोई महत्व नहीं, उच्च योनि से लेकर निम्न योनि तक का कोई भी जीव भगवद् प्राप्ति कर सकता है। महाराज ने समुद्र मंथन के बारे मे बताते हुए कहा कि समुद्र मंथन में एक तरफ देवता और एक तरफ राक्षस रहे। जहां भगवान ने मोहिनी अवतार ग्रहण करके देवताओं को अमृत पान कराया और वामन अवतार का कथा सुनाई। भगवान वामन ने राजा बलि से संकल्प करा कर तीन पग भूमि दान में मांगी और इस तीन पग में भगवान वामन ने पृथ्वी, आकाश और तीसरे पग में राजा बलि को मापा और बलि को सुतल लोक का राजा बना के खुद वहां के द्वारपाल बने।

कथा के दौरान श्री स्वामी जी महाराज ने भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव की कथा सुना श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। कहा कि किसी भी व्यक्ति का ईश्वर से साक्षात्कार तभी संभव है, जब वह आस्थावान हो। व्यक्ति को अहंकारी नहीं होना चाहिए, चाहे लाख अंधकार का सामना करना पड़े। विपरीत परिस्थितियों में भी मानव को ईश्वर में विश्वास रखना चाहिए। उन्होंने राजा बलि व ईश्वर के साक्षात्कार की चर्चा करते हुए कहा कि घमंड के कारण ही ईश्वर ने उनकी कई परीक्षा लेने के बाद पाताल लोक भेजा और चौकीदार के रूप में ईश्वर ने खुद पहरेदारी की। कहा कि किसी की भलाई एवं प्राण रक्षा के लिए बोले गए झूठ को ईश्वर माफ कर देते हैं। अगर झूठ बोलने से किसी का प्राण बच जाए तो वह झूठ नहीं होता। प्रभु की अति कृपा होती है तो संसार में मनुष्य के रूप में जन्म मिलता है। कथा सुनने के लिए दूर-दूर से आकर धर्म प्रेमी अपने जीवन को बना धन्य बना रहे हैं।

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