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Satna: चित्रकूट में अब श्रद्धालु शैंपू, साबुन और पालीथिन का नहीं कर सकेंगे उपयोग

 

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ देश और दुनिया भर से श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट आने वाले श्रद्धालुओं को लिए बुरी खबर है। अब वे चित्रकूट के धार्मिक स्थलों व घाटों पर न तो साबुन, शैंपू का उपयोग कर सकेंगे और न ही भंडारे आदि में डिस्पोजल और प्लास्टिक व पालीथीन का उपयोग कर सकेंगे। सतना प्रशासन ने मध्य प्रदेश क्षेत्र में आने वाले चित्रकूट के सभी धार्मिक स्थलों पर प्लास्टिक पालीथिन, घाटों में साबुन और शैंपू पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही मठ मंदिरों के अलावा अन्य जगहों पर आयोजित होने वाले भंडारों में प्लास्टिक डिस्पोजल की थाली, गिलास और अन्य सामग्रियों के विक्रय और उपयोग पर भी पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। भंडारों, खाना-पीना और आने वाले श्रद्धालु अब केवल पत्ते से निर्मित थाली, पत्तल, दोना का ही उपयोग कर सकते हैं।

 धारा 188 के तहत कार्रवाई 

चित्रकूट में प्लास्टिक थैली, पालीथीन के उपयोग को नगर परिषद प्रशासक एवं एसडीएम मझगंवा पीएस त्रिपाठी द्वारा आदेश जारी कर प्रतिबंधित किया गया है। उपखंड मजिस्ट्रेट मझगवां ने नगर पंचायत चित्रकूट के संपूर्ण राजस्व सीमा क्षेत्रांतर्गत दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा -144 के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है जिसका उल्लंघन करने वाले लोगों पर धारा 188 के अंतर्गत कार्रवाई करने कहा गया है। जिसमें जुर्माना सहित जेल का भी प्रावधान है।

हो रहा मंदाकिनी का जल दूषित 

चित्रकूट में देश भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। जिसे देखते हुए एसडीएम पीएस त्रिपाठी ने अपने आदेश में कहा है कि प्रसिद्ध धर्मनगरी चित्रकूट में प्रवाहित मंदाकिनी नदी में श्रद्धालुओं द्वारा साबुन, शैंपू का उपयोग किए जाने के फलस्वरूप मंदाकिनी नदी का पवित्र जल दूषित हो रहा है। इसी प्रकार भंडारे एवं अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में प्लास्टिक डिस्पोजल, थाली, ग्लास, कटोरी एवं पन्नाी, पालीथीन आदि पर्यावरण एवं मवेशियों व जानवरों के लिए हानिकारक है। चित्रकूट के प्रमुख दार्शनिक स्थल कामतानाथ मंदिर, कामदगिरि परिक्रमा, मंदाकिनी नदी तट, हनुमान धारा, सती अनुसुइया, गुप्तगोदावरी एवं अन्य स्थलों में भारी संख्या में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। इसके साथ ही अमावस्या मेले में भी अत्यधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मंदाकिनी नदी के जल को पवित्र रखने, पर्यावरण प्रदूषण रोकने एवं मवेशियों व जानवरों के स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए यह आदेश तत्काल लागू किया गया है।

 

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