Kalashtami will be celebrated in dwipushkar and ravi yoga know its importance: digi desk/BHN/ग्वालियर/हिंदू पंचांग अनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस दिन भगवान शिव के अंशावतार काल भैरव की पूजा की जाती है। भैरव की पूजा करने से अकाल मृत्यु के डर से मुक्ति, सुख, शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है। 25 जनवरी को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियां, शत्रु और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत करने से क्रूर ग्रहों का प्रभाव भी खत्म हो जाता है और ग्रह शुभ फल देना शुरू कर देते हैं। साथ ही इस दिन की गई पूजा-पाठ से किसी भी प्रकार का जादू-टोना खत्म हो जाता है, भूत-प्रेत से मुक्ति मिलती है और भय आदि भी खत्म हो जाता है।
व्रत पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन पूजा स्थान को गंगा जल से सुध कर वहां लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ कालभैरव की मूर्ति या तस्वीर को रखकर जल चढ़ा कर पुष्प, चंदन, रोरी अर्पित करें। साथ ही नारियल, इमरती, पान, मदिरा, गेरु आदि चीजें अर्पित कर चौमुखा दीपक जलाएं और धूप-दीप कर आरती करें। इसके बाद शिव चालीसा और भैरव चालीसा या बटुक भैरव पंजर कवच का भी पाठ कर सकते हैं। इसके बाद रात्रि के समय काल भैरव की सरसों के तेल, उड़द, दीपक, काले तिल आदि से पूजा-अर्चना कर रात्रि में जागरण करें।