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Good News: पिता की मौत के बाद सरकारी नौकरी पर शादीशुदा बेटी का भी हक़, हाईकोर्ट का फैसला

Rajasthan high court said after the death of the father married daughter also has the right on the government job: digi desk/BHN/जोधपुर/ शादीशुदा और अविवाहित बेटे-बेटियों की भेदभाव नहीं किया जा सकता है। अब ये सोच बदलने का समय आ गया है कि शादीशुदा बेटी अपने पिता के बजाय पति के घर की जिम्मेदारी है। शादीशुदा बेटे व बेटी में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। राजस्थान हाई कोर्ट की एक फैसले में की गई यह टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दरअसल पिता की मौत के बाद शादीशुदा बेटी को नौकरी देने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जिसके तहत कोर्ट ने पिता की मौत के बाद सरकारी नौकरी पर बेटी का भी हक माना है।

दरअसल मामला जैसलमेर जिले का है, जहां बिजली विभाग (डिस्कॉम) में कार्यरत पति की मौत के बाद पत्नी ने उनके बदले दी जाने वाली नौकरी स्वास्थ्य कारणों से अस्वीकार कर दी और बदले में अपनी बेटी के लिए नौकरी चाही थी। लेकिन जोधपुर डिस्कॉम ने बेटी के शादीशुदा होने का तर्क देकर उसे नौकरी देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद ये मामला हाईकोर्ट पहुंच गया।

राजस्थान हाईकोर्ट के जज पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट का यह मानना है कि शादीशुदा और अविवाहित बेटे-बेटियों में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। यह संविधान के आर्टिकल 14,15 व 16 का उल्लंघन है। जोधपुर डिस्कॉम की ओर से तर्क दिया गया कि नियमानुसार शादीशुदा बेटी, मृतक की आश्रित नहीं मानी जा सकती है। ऐसे में उसे नौकरी पर नहीं रखा जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि अब सोच बदलने का समय आ गया है। शादीशुदा बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश भाटी ने याचिकाकर्ता शोभा से नए सिरे से आवेदन करने को कहा। वहीं जोधपुर डिस्कॉम को आदेश दिया कि शोभा देवी को अपने पिता के स्थान पर तीन महीने में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए।

जानिये पूरा मामला

जैसलमेर निवासी शोभादेवी ने एक याचिका दायर कर कहा कि उसके पिता गणपतसिंह, जोधपुर डिस्कॉम में लाइनमैन के पद पर कार्यरत थे। पांच नवम्बर 2016 को उनका निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी शांतिदेवी और पुत्री शोभा ही बचे। शांतिदेवी की तबीयत ठीक नहीं रहती, ऐसे में वे अपने पति के स्थान पर नौकरी करने में असमर्थ हैं। ऐसे में शोभा ने अपने पिता के स्थान पर मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के लिए आवेदन किया। जोधपुर डिस्कॉम ने उसका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शादीशुदा बेटी को नौकरी नहीं दी जा सकती है।

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