Sunday , September 22 2024
Breaking News

‘स्वदेशी स्वीकार, विदेशी बहिष्कार’ के नारे में ही छिपा है समृद्ध भारत का मूल मंत्र- दीप्ति

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ स्वदेशी विचार है आत्मनिर्भरता का। इस विचार से ही हम स्वालंबन भी सीख सकेंगे। चीन जो हमारे देश को बड़ा बाजार समझ रहा है उस पर स्वदेशी का प्रहार करना होगा। यह कहना है स्वदेशी अभियान, महाकौशल प्रांत की प्रांत सह संयोजक इंजीनियर दीप्ति पयासी का। वह यहां दो दिनी प्रवास में आईं थी। उनसे कुछ सवाल किए गए जिनका बखूबी जवाब दिया।

प्रश्न- स्वदेशी जागरण की आवश्यकता क्यों पड़ी?

उत्तर- भारत वर्ष की स्वतंत्रता के लिए प्रयास करने वालों ने भी स्वदेशी विचार पर बल दिया था चाहे महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर आदि महापुरुषों ने चरखा चलाने से लेकर विदेशी वस्तुओं की होली जलाने तक के कार्य स्वदेशी भाव जागरण के लिए किए थे। स्वतंत्र भारत के बाद भारत के नेतृत्व ने पूंजीवादी और वामपंथी अर्थव्यवस्था के आधार पर स्वतंत्र भारत को खड़ा करने की कोशिश की परंतु हम देखते हैं कि पाश्चात्य विचार के आधार पर खड़ी हुई अर्थव्यवस्था ने बेरोजगारी को बढ़ाया, पर्यावरण पर संकट के बादल और भारतीय अर्थव्यवस्था आज पटरी से उतरी हुई दिखती है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सस्ते सामान को हमने देश में प्रवेश करने दिया,परिणाम स्वरूप पर्यावरण,रोजगार और देश की सुरक्षा कि हमने अनदेखी की। 5000 खरब रुपए प्रतिवर्ष हम स्वयं इनको भेजते आए हैं। 15 लाख रोजगार हम प्रतिवर्ष चीन को देते आए हैं। इसलिए अपने देश की अर्थव्यवस्था भारत के चिंतन के आधार पर हो। स्वदेशी अर्थव्यवस्था के आधार पर ही देश की समृद्धि और विकास संभव है। नवीन रोजगारों के सृजन का सामर्थ्य भी है इन सब विषयों को ध्यान में लेकर ही यह स्वदेशी अभियान सतत चल रहा है।

प्रश्न- चीनी उत्पादों के विरोध के बाद ही क्यों विचार आया?

उत्तर-  स्वदेशी स्वीकार विदेशी बहिष्कार, स्वदेशी अपनाओ, विदेशी भगाओ यह विचार तो स्वतंत्रता आंदोलन के पहले से चल रहा है। चीनी उत्पादों का भारत के बाजार में प्रवेश होना उसके आधार पर हमारे पर्यावरण,रोजगार, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई। हमारे भाव जगत में भी उसने प्रवेश करके यूज एंड थ्रो के विचार का जहर घोला। देश की सीमा पर सैनिकों का बलिदानएहमारी देश की भूमि पर अतिक्रमण और उसकी विस्तार वाद की नीति के कारण चाइना के उत्पादों का विरोध प्रारंभ हुआ।

प्रश्न- जागरूकता अभियान में अभी किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?

उत्तर- कोरोना संकटकाल में प्रत्यक्ष रूप से समाज में संपर्कएप्रत्यक्ष कार्यक्रम कर पाना संभव नहीं हो पा रहा था। कोरोना काल में आनलाइन वेबीनार एवं स्वदेशी के पक्ष में  डिजिटल हस्ताक्षर अभियान चलाया जिसमें महाकोशल प्रांत में 60000 लोगों ने हस्ताक्षर कर अपनी स्वीकृति प्रदान की। बलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि के कार्यक्रम, विदेशी वस्तुओं की होली व बहिष्कार हेतु संकल्प के कार्यक्रम एविरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम लोगों ने अपने घर के बाहर ही संपन्न किए। प्रत्यक्ष समाज में प्रबोधन के कार्यक्रम आदि अभियान संभव नहीं हो पाए। जैसे-जैसे लॉकडाउन में प्रशासन की छूट मिलती जा रही है उस परिस्थिति के आधार पर ही अभियान के चरणबद्ध कार्यक्रम संपन्न होने की ओर अग्रसर है।

प्रश्न-त्यौहार की समय ही स्वदेशी की याद क्यों आती है?

उत्तर- स्वदेशी का विचार तो हमारे देश में पूर्व से ही है। हमारे देश में समाज जीवन स्वदेशी के आधार पर चलता आया है पाश्चात्य के प्रभाव के कारण विदेशी बाजार भारत में सजने लगे, तीज त्योहारों पर भी विदेशी सामान भारत के बाजार में भरने लगे, परिणाम स्वरूप हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर उसका प्रभाव पड़ा।
हमारे देश की सांस्कृतिक उत्सव प्रधान है। त्योहारों का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत और रोजगार मूलक बनाना था। परंतु हमारे दीपावली,होली,राखी यह भारतीय त्योहार और इन त्योहारों के आधार पर व्यापार चलाये चीन यह कहां तक उचित है। हमारे देश के डोकलाम और गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों की याद करते हुए और देश पर मंडराती सुरक्षा को देखते हुए यह जन जागरण का अभियान चल रहा है। जब चीन भी हमारे त्यौहारों को आधार मानकर भारत को बाजार समझकर व्यापार कर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा हो और हम स्वार्थ बस अपने त्योहारों को चीनी वस्तुओं से मनाने लगेंगे तो हमारे भारतीय सैनिकों के बलिदान क्या यूं ही होते रहेंगे। वर्तमान में अब हमारे भारत देश में मनाए जाने वाले त्योहारों में विदेशी रंग जब से चढ़ा है तब से हमारे लोकल के व्यापारियों की दुकानों की चमक धीमी पड़ गई है, अत: स्वरोजगार, स्वावलंबन की दृष्टि से त्योहारों में अभियानों की सक्रियता अधिक दिखाई पड़ती है।

प्रश्न-समाज में परिवर्तन के लिए क्या क्या प्रयास और किये जायेंगे?

उत्तर-अभियान द्वारा समाज प्रबोधन के लिए किए गए कार्यों में वर्चुअल प्रयासों से एक्चुअल की ओर आने के प्रयास प्रारंभ हुए हैं । विभिन्न श्रेणियों की संगोष्ठी के आयोजन,पत्रकार वार्ता ,सोशल मीडिया पर जागरण के प्रयास, रोजगारों के सृजन के लिए प्रोत्साहन, स्किल डेवलपमेंट के प्रयास चल रहे हैं विभिन्न प्रकार की स्पर्धाओं, लेखों के प्रकाशन के द्वारा समाज जागरण के प्रयास होंगे। स्वदेशी अभियान विभिन्न माध्यमों में सक्रिय है अभियान का मत है इच्छा से देसी एजरूरत से स्वदेशी एमजबूरी में विदेशी और मजबूरी कम होती जाये के आधार पर स्वयं प्रेरणा से ग्रामीण एवं छोटे व्यापारियों के उत्पाद को खरीद कर भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करें।

About rishi pandit

Check Also

Satna: अलाउद्दीन खां संगीत समारोह संबंधी बैठक संपन्न, कलेक्टर ने दिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश

सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ विगत वर्षो के भांति इस वर्ष भी उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत समारोह …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *